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________________ ६३८ नेमिनाहचरिउ [२८६० [२८६०] लहहि पइ पइ किं न अवमाण कि न पेक्खहि मुहि-सयण रणि पडंत तुटूंत-कंधर । कि न सुमरहि कंस-बहु काल-कंस-पमुह वि स-दुद्धर ॥ मज्झ पयाव-हुयासणिण परिडज्झंत-सरीर । हूय कयंतह पाहुणय अणुगच्छिर निय-चीर ॥ [२८६१] नेमि-कुमरिण मज्झ वंधविण एगेण विरह-वरिण किं न नियहि तुह वलु असेसु वि । परिविहिउ अज्जु वि उवलमउ व चत्त-चेट्टा-विसेसु ॥ अहवा सेमुहि-कंचुगिण सप्पु व तुहुं चत्तो सि । कहमन्नह अप्पह हणण- कइ मह रणि दुक्को सि ॥ [२८६२] एम्ब वहु-विह हरिहि दुव्वयण निसुणंतु दुहावियउ मगह-नाहु अमरिस-विसंठुलु । सह एगुणसत्तरिहिं सुयहं जुडइ मरणग्ग-पच्चलु॥ समुहागमिरह मुर-रिउहु रह-रयणारूढस्सु । मगहाहिव-अढवीस-सुय पुणु मिलिया रामस्सु ॥ [२८६३] इयरु वलु तमु समुदविजयाइनरनाहहं रणि मिलिउ अह महंति संगरि पयट्टइ । नीलंवरु निय-हलिण गलइ धरिवि एक्केक्कु कड्ढइ ॥ मुसलेण उ चूरेइ सिरु तह जह गरुय-दुहत्त । अढवीस वि जरसंध-सुय जीविएण परिचत्त ॥ २८६२. ५. क. मरणमग्ग Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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