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________________ ६१८ एम्व मरणंत-उवद्दवु वि जरसंघ - नरा हिव पासायचेइय-हरहं उद्धीकय-मुह-कुहर नयरब्भंतरि वासरि वि fare विदीसहिं गयण-पह तारायण - संछन्न ॥ इओ य मिनाहचरिउ [२७६५] घरि सरोवर विवणि दीहीसु - सहर are faraहिं अरिद्वय । यहि मिलिवि ओरालि सुणह य ॥ पविसहि पसु आरन । arrass समुह पाविउ ॥ अणुदिण- मिलमाणिण वलिण पूरिय-वसुहाभोगु । पिक्खंत सर-सरि - सिहरि - नयरई किं-चि स- सोगु ॥ [२७६७] Jain Education International 2010_05 [२७६६ ] बहुविह-असिव - उवइड कंस-काल-मरणिण दुहाविउ । कहिउ नारय- रिसिण जरसंघ - वसुहाहिव-संचलनआगंतु नहयल - परिण साहिउ अह सो हरि-मुसलि - पमुह-सवग्ग - समेउ । कुठुगि नेमित्तिउ नियय- पुरिसिहिं सदावे ॥ अंतु सयल yog वइयरु | समुदविजय - निवइहि स - वित्थरु || [२७६८] afra पसरिय - हरिस-रोमंच पुलयंचिय- विग्गहिण को केरि अम्ह जउ जंपिउ जह - जरसंघ - निवु हरि पुणु निहणिय-रिउ-निवहु भरह-अजु मुंजे || २७६५. २. क. चेइ marginally corrected as चेइय; ख. चेइ; ७. क. पविसहि. समर - रसिण जावहं वग्गण । तेण समगु रणि तयणु इयरिण ॥ नित्तुलु समरि मरे । [ २७६५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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