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________________ ६०९ २७२४ ] नवमभवि पज्जुन्नबरिउ [२७२१] तह कह-चि वि नाह उज्जमसु जह मज्झ वि अंगरुहु हवइ सरिसु पज्जुन्न-कुमरह । पडिवज्जिवि कण्हु इहु रहि हवेउ सुमरेइ एगह ॥ तियस-विसेसह अह तिण वि सुरिण भणिउ - अइरेण । हविहइ कण्ह तुहंगरुहु सोहिउ गुण-नियरेण ॥ [२७२२] तयणु वियरिवि हरिहि अइ-म्मु एक्कावलि-हारु सुरु गयउ नियय-ठाणम्मि गयणिण । पज्जुन्निण वइयरु वि एहु मुणिउ पन्नत्ति-जोगिण ॥ जंपिउ रुप्पिणि-सविहि जह जइ तुहुं अंब भणेसि । ता उप्पायावेमि सुउ अप्प-सरिसु तुह रेसि ॥ [२७२३] भणइ रुप्पिणि - वच्छ मह मुणिहिं वालत्तणि कहिउ सुउ तुहुँ जि एक्कु इय किमु किलेसिण । सामत्थु इहु अत्थि जइ जंववइहि ता पसिय पुत्तिण ॥ अह आमं ति पवजिउण पज्जुन्निण सा देवि । पेसिय सविहिहि केसवह सच्चह रूवु करेवि ॥ [२७२४]] अह पहट्ठिण हरिण स-करेहिं एक्कावलि-हारु तहि दिण्णु तयणु सह तीए कीलिउ । सुह-सुत्तिहि पुणु पवर- सिविण-कहिउ सो पुव्व-साहिउ ॥ महु-लहु-वंधवु आरणह सुर-भवणह चविऊण । सो केटभ-सुरु जंववइ- - उयर-कमलि वसिऊण ॥ २७२४. ८. क. सुर. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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