SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 172
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६०१ २६८१ ] नवमभवि पज्जुन्नचरिउ [२६७६] अह चरम-सरीरो सो सयलाउ कलाउ गिहिही अइरा । पिउ-जणणी वि मिलिही सोलस-वरिसाण अवसाणे ॥ [२६७७] इय जिणिदह सविहि मुणिऊण नीसेसु वि तहं चरिउ गंतु गिरिहिं वेयइढि नारउ । अवलोइवि संवरह भवणि ललिरु पज्जुन्नु दारउ ॥ गुरु-हरिसिण गंतूण लहु घरि रुप्पिणि-कण्हाण । जिण-भासिउ सयलु वि कहइ सायरु पुच्छंताण ॥ [२६७८] कमिण निय-तणु-कंति-पब्भारलायणिहिं विजिय-जय- तरुण-रूवु पज्जुन्न-कुमरु वि । संपत्तउ सयलहं वि कलहं पारि अणहुंत-खेउ वि ॥ विहिहि वसेण य कुसुमसर- विहुर-कणयमालाए । आणेविणु पज्जुन्नु रहि भणिउ खलिर-चायाए ॥ [२६७९] __ भणसि तं महु समुहु जणणि त्ति नउ तं सि महंगरुहु · न-वि य तुज्झ हउं जणणि सुंदर । नहि महुरउं कुणइ मुहु पुणु वि पुणु वि भणिया वि सक्कर ॥ इय तुहुं सुहय सरीरु मह मयणानल-संतत्तु ।। निय-तणु-संग-सुहा-रसिण सिंचसु अज्ज निरुत्तु ॥ २६८०] तयणु चमक्किय-हियओ पज्जुन्नो चिंतए - अहह किह णु । नत्थि पियं अ-पियं वा महिलाणं मयण-विहुराण ॥ [२६८१] इत्थी कंथारि-समा नीएहव उत्तिमे वि लग्गेइ । तो जुत्तीए अप्पा छोडेयव्वो त्ति चिंतेउं ॥ २६७६. १ क. सयलाओ कलाओ. ७६ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy