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________________ १९५० ] नवमभवि हरिवंसबुत्तंतु [१९४७] eos नंदणु yesवइ-नामु तत्तणउ महागिरि ति हिमगिरि त्ति पुणु तस्सु नंदणु । अव सुरगिरि त वि सुउ मित्तगिरि ति निवु भुवण-रंजणु ॥ गय-संखिहि नरवइहिं समइगइहिं हरि-वंसि । उ सुमित-निव भवणि मुणि सुव्वय-जिणु तेयंसि ॥ [१९४८ ] तसु वि नाहह वंसि वहुए हिं नमि-जिर्णिद - तित्थि पयइ | अइकंतिर्हि नरवहि सिरि-महुरहं पुरि-वरिहिं सउरिनामु नर-नाहु वह || पुणु लहु-बंध विमल - गुण-निहाणु जुव-राउ | आसि सुवीरय-रूव (?) निय- अभिहाणिण विक्खाउ ॥ [१९४९] अवर-अवसर सउरि नर-नाहु लहु-बंध तहिं पुरिहिं ठाविऊण रज्जम्मि स-हरिसु । गंतूण कुसट्ट- जणवयह मज्झि सयमवि हु अ-सरिसु ॥ काणण-भवण - जिर्णिदघर - पसरिय- लच्छि - निहाणु | विणिवेसावर नवउं पुरु सोरियपुर - अभिहाणु ॥ Jain Education International 2010_05 [१९५० ] तत्थ अंधगवfor ह- पामुक्ख भूसियंग धरणियल - मंडण | काल-कमिण संजाय नंदण || भोजवण्हि पामुक्ख । पिसुण-हणण-कय-लक्ख ॥ नाणा - विह-गुण- रयण सिरि- सउरिनराहिवह सुत्र सुवीर नरेसरह जाया अंगुव्भव बहुय १९४७. ७. क. समगइय added margially. For Private & Personal Use Only રે www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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