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________________ ५७८ नेमिनreafte [२५५९] अह ति चिंतहिं जवण - निव- पमुह अहह तेसि जायव - नरिंदह | जर संघ- नरिंद-भड लहं हं विहलहर - उर्विदहं ॥ निय भुय-वल- दलिय-रिउभुवणस्स वि अच्छरिय-कर- सुकयहं परिणइ का वि । जेसि विवक्खिय-चह - विहिर्हि उज्जमंति देवा वि ॥ [२५६०] जह वि गच्छहुं तेसि पट्ठीए कायव्वरं बुहिहिं पुणु सिरि- जर संघ- नरेसरह जं उदयंत - पयाव-भर कह-कहमवि तह विधुवु हवइ अम्ह सयलहं अणत्थु जि । कज्जु सयल परिणाम- सुत्थु जि ॥ विहल हियय - अवलेव । नज्जहिं हरि-वलएव ॥ [२५६१] किं व करिहईं तत्थ माणविय पर अमर - गण सुइर-चरिय-सुकयाणुरागिण । इय चितिविसर -ससि - कुंद - कलिय - निम्मल- विवेगिण || उत्तारिवि अवमाण- दुहु संधीरिवि अप्पाणु । गम्म सामिहि पुरउ निय- पुन्नई काउ पमाणु ॥ Jain Education International 2010_05 [२५६२] इय विणिच्छवि जवण - निव-पमुह सव्वे व ति निव-वसह पत्त पुरउ जरसंघ - निवइहिं । तणउ सुणिवि आगमिरु पट्टिहिं ॥ साहति य झ - गिरिं पंचतह संपत्त तुह २५५९. ५. क. विवि. २५६१. २. क. पहरहि. २५६२. ६. क. गरिंदह. GMA . देव तुह afe चियहं चक्किहि पडिवि असेस । रिउ जायव-वसुस ॥ For Private & Personal Use Only [ २५५९ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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