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________________ नेमिनाहचरिउ [२५२६ [२५२६] नूण निग्गह-अरिहु जरसंधरायस्सु वि कंसु परि पयड जस्सु दुविणय भुवणि वि । ता गरुयर-पूय-विहि मुसलि-सहिउ अरिहेइ कण्हु वि ॥ एत्वंतरि सोमगु भणइ अरिहाणरिह-वियारि । को हउं तुम्हाणं पि मइ का एरिसि अहिगारि ॥ [२५२७] कज्जु सामिहि किच्चु भिच्चेहिं अम्हेहिं तुब्भेहिमवि किं-पि जुत्तु जइ सु जि मुणिसइ । हउं पेसिउ सज्जणइ इयरहा उ हढिण वि सु लेसइ ॥ साम-भेय-डंडेहिं पहु कुणहिं कज्जि परिवाडि । जे उ ति लंघहिं ते खिवहिं अप्पणु खंधि कुहाडि ॥ [२५२८] वज्ज-दारुण वयण इय भणिरु सो सोमगु पेक्खिउण समुदविजय-नरनाह-पमुहिहिं । सयलेहिं वि जायविहिं असम-रोस-वस-फुरिय-अहरिहिं ॥ गरुयामरिमु समुल्लवइ तहिं आविवि गोविंदु । अरि अरि सोम अ-सोम तुहुं म-न मन्नहि सु नरिंदु ॥ [२५२९] पउर-परियणु एहि पुणु थोव सो गरुयउ एहि लहु सो पयंडु इहि मंद-सत्तय । जं एगु वि पंचमुहु हणइ करिहिं सय-सहस मत्तय ॥ लहुउ वि वज्जु दलइ गिरिहि सिहरइं गरुयाई पि । दोण्ह वि पक्खहं नज्जिसहि पुणु रणि सत्ताई पि ॥ २५२८. ५. क. असरोस ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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