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________________ ५६३ २५०१ ] नवमवि मुहिगचाणूरवहु [२४९८] तयणु किं-चि वि फुरिय-हरिसेण तिण कंस-निवाहमिण पुण-वि हरिहि घाय-कइ पेसिउ । ता मुसलिण धाविउण हणिवि उरसि चाणूरु धरिसिउ ॥ तह जह पसरिय-सासु महि- विलुलिर-केस-गुलंछु । सिय-पीयल-अरुणइं वमिरु निवडिउ आगय-मुच्छु । [२४९९] ___ अह तह च्चिय समगु मुट्ठिगिण वलभक्षु उज्झिय-करणु बहु-वियप्पु जुज्झेउ लग्गउ । ता पाविय-चेयणिण अरिण समगु रण-रसि अ-भग्गउ ॥ स-विसेसयरु परिप्फुरिय- अमरिस-वस-अरुणच्छु । पहरइ अहरिय-करुण तह कह-वि सु सउरिहि वच्छु ॥ [२५००] जेण नासिग-वयण-सवणाहं विवरेहिं परिगलिर- धाउ-निवहु चाणूरु जीविण । परिचत्तउ हरिहि कय- अविणओ त्ति नं गरुय-भीइण ॥ ता कुविउण भय-कंपिरु वि पभणइ कंस-हयासु । अरि अरि इहु मह मंडियउ नूण कयंतिण पासु ॥ [२५०१] अरिरि सुहडहु गहिवि बंधेह मारेह य गोव दु-वि हणह नंदु स-कलत्त-पुत्तु वि । जो एयहं कुणइ कु-वि पक्ख-चाउ मह रिउ मुणंतु वि । सो अम्हाहं वि सयणु धुवु मारेयव्वउ अज्जु । जह जीवंतु न कुणइ पुणु राय-विरुद्ध अ-कज्जु ॥ २४९८. ७. क. गुलंच्छ. २४९९. ३. क. वियप्प; ८. करण. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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