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________________ ५५२ नेमिनाहचरिउ [२४५२ [२४५२] *तयणु सउरिहि सुउ अणाहिट्टि परिखुधु वि वद्ध-पह- वसिण जाव कोदंडु गिण्हइ । ता पडियउ घुम्मिउण किण-वि भडिण नं हणिउ पण्हिइ ॥ एत्थंतरि रिउ-घर-गउ वि अकय-परिप्फंदो वि । तिक्ख-कडक्ख-सरावलिहिं तरुणिहिं हम्मतो वि ॥ २४५३] वाम-हत्थिण गहिवि कोदंडु आरोविवि दाहिणिण मुइवि तहिं जि मणिमइय-वेइहिं । अवलोइरु तरुणिय[णि] तहिं जि समुहु अणिमिसिहि नयणिहि ॥ सहिउ अणाहिहिण सउरि- कुल-गयणयल-ससंकु । अलहिज्जंतउं[x] जणिण कंस-घरह नीसंकु ॥ [२४५४] विजिय-कुंजर-वसह-कलहसवर-तुरय-सिहंडि-गइ कमिण कंस-निव-अहम-भवणह । नीहरिउण गयउ गिह- दार-देसि वसुदेव-रायह ॥ मयणवेग-देविहि तणय वयणिण तत्थ वि थक्कु । हरि पइसेउण परिय(?) गरुयर-हियय-चमक्कु ॥ [२४५५] गंतु सउरिहि सविहि साणंदु परिसाहइ जह - जणय धणुहु कंस-नरनाह-अहमह । आरोविउ मई खणिण मज्झि तस्सु वहु-निवइ-निवहह ॥ अह गुरु-रोसारुण-नयणु चलिर-अहरु वसुदेवु । जंपइ - अरि अरि पाव-मइ तुह किं रुट्ठउ दइवु ।। *The portion from तयणु (2452. 1.) to तस्सु (2455.6.) is based on ms. e. only. २४५२. ५. पण्हइ. २४५४ हरि यइ से उण परिय. ____Jain Education International 2010_05. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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