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________________ नेमिनाहचरिउ [२४२८ [२४२८] नणु कहं-चि वि तरणि पच्छिमहं संपावइ उदय-दस परिहरेइ मज्जाय जलहि वि । धरणीयलु थरहरइ खडहडेइ सुरराय-सिहरि वि ॥ न-उण कह-चि महा-मुणिहिं भासिउ वितहु हवेइ । मई जिम्व अ-खइउ तुह रिउ वि संनिहियउ चिठेइ ॥ [२४२९] अह धवक्किय-हियउ परिगलिरपस्सेय-जलाविलउ कंस-अहमु जंपेइ दीणउं । जह - भद्द करेसु तह कह-वि जेण हउं सत्तु जाणउं ॥ जइ पुणु अज्ज-वि कहमवि-हु रक्खिज्जइ अप्पाणु* । कज्जि विणहइ विहि-वसि[ण किं] करेइ सु-वियाणु ॥ [२४३०] __ तो निमित्तिउ भणइ - नणु हउं वि छउमत्थु जि इय कहणु तुज्झ सत्तु सम्मउं वियाणहूं । सो नज्जइ लक्खणिहिं ताई पुणु हउं [तई य] +निवेयहं॥ अह जइ एम्ब तई जि सह सो दंसिउ सत्तु त्ति। इय कंसिण भणि[य]इ क[ह]इ इहु नेमित्ति नरु त्ति ॥ जहा. [२४३१] वियड-कंधरु तिक्ख-सिंगग्गु अइ-दुद्धर-दप्प-भरु हय-विवक्खु निरु ढिक्करंतउ । गो-नागु अरिह इय नामु धरणि सिंगिहि दलंतउ ॥ तह हेसा-रव-पडिहणिय-इयर-तुरंगम-थटु । केसि-नामु खर-खुरु तुरउ दुद्धर-माण-मरटु ॥ २४२८. ७. क. वितहु. * The portion from °णु (2429. 7.) to स (2435. 5.) is based on ms. ख only. २४२९. ८-९. वसिं करेइ. २४३०. ५. नेवेयहुं. ८. कइइह for कहइ इहु ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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