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________________ [ ३३७ तइयभवि चित्तगइवुत्तंतु [३३४] उद्ध- अंकुस मुक्क मायंग कस- पहय धाविय तुरय लहु पट्टिय भड - निवह रण- कलयलि नहि उच्छलिइ सारव - रंजिय-सुहडि [३३५ ] अह परोप्पर मुणिय - वृत्तंत खयरिंद-सुय चितगइ - कमल नाम निय-दूय-वयणिर्हि । परिसज्जिय- विउल-वल दो वि मिलिय लहु समर - धरणिहिं || ता दोह वि कुमरुत्तिमहं मिलिय सुहड सुहडेहिं । कुंजर करिहिं तुरय एहिं रहिय पुणो रहिएहिं ॥ मुक्क-रासि संचलिय संदण सत्थ- हत्थ रिउ - मुंड-खंडण ॥ कायर-कंपि पयहि । धाय साण-ट्टि ॥ अग्गिम-बलु रिउ-भडिहिं अह दाहिण -करिण धणु भणइ कमल-कुमरह पुरउ चिरु कुमराहम तुह जणिण Jain Education International 2010_05 [३३६] ता खणणि किंचि चित्तगह दलिय दप्पु दिसि-मुह जुयाविउ । सूरतेय-नंदणु चंडाविउ ॥ फुरिय दप्प-दछु । जय-जय-रवु उग्धुट्टु ॥ [३३७] किंतु संपद होसु खणमेग मुववेत्तु कोदंडु करि जय जय रघु संहरउं अन्नह उज्झिवि पर - रमणि नाससु तुरिउ हयास । किं न निरिक्खसि मंडिया तणा कर्यंतह पास ॥ ३३४, ५. क. खंडणु. ६. क. करयलि. मज्झ समुहु जह तुह खर्णाद्धिन । चिर-परू सह रज्ज - रिद्धिण ॥ For Private & Personal Use Only ८६ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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