SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 68
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१७] पढमभवि धणवुत्तंतु [२१४] धण-नरिंदु वि विजिय-पडिवक्खु निय-कित्ति-धवलिय-भुवणु कुणइ जिणहं सकारु भत्तिण । कारावइ जिण-भवण जिणह विंव ठावइ स-सत्तिण ॥ रह-जत्ताउ पयासवइ पयडावइ दत्तीउ । वारावइ जीवहं मरणु सोहावइ गोत्तीउ ॥ [२१५] कुणइ गुरु-यणि परम-सम्माणु सम-धम्म पुण उद्धरइ हरइ दुरिउ पणमंत-जंतुहुँ । आराहइ पय-पउम निच्च-कालु सिव-मग्ग-गंतुहं ॥ न मुयइ कहमवि निय-मणह ससि-निम्मलउ विवेउ । अइ-दुल्लंभउ मुणिवि निरु जिणवर-धम्मु दु-भेउ ।। [२१६] तह विवज्जइ जीव-संहारु न अलीउ दढमुल्लवइ चयइ ईयर-विहवु वि पयत्तिण । पर-रमणि न आलवइ न वहु-धणिण मुब्भइ धरित्तिण ।। दिसि-वय-गहणि समुज्जमइ जयइ भोग-उपभोगि । न वि य अणत्थिण ववहरइ रहइ समिइ-उवओगि ॥ [२१७] दहु पयट्टइ भोग-उवभोगवय-विसइ पोसह-वइ वि चयइ विग्घु गुरु-संविभागि वि । परिउज्झइ मण-पसरु मोहराय-मुहि दोसि रागि वि ।। अहव किमन्निण वित्थरिण सम्वत्थ वि दढ-सत्त । वइ विक्कमधण-तणउ निरुवम मुणि-सम-चित्तु ।। २१५. ३. क. पणमन्न. २१७. ८. क. वटइ..ख. चट्टइ. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy