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________________ २७८४) सत्तमभषि संखवुत्तंति महावीरचरिउ [१७८१] तह-वि अ-खुहिरि नाहि वर-कणयपरिपिंगल-सिर-चिहुर वाम पाणि कय-जलण-खप्परू । अन्नयर-कर-गहिय- गरुय-वज्ज-मुग्गर-भयंकरु ॥ फिक्कारंतु पिसाय-सय संकुल-सयल-पएसु। लंविर-जीहु पहुत्तु तहिं गुरु-वेयाल-विसेसु ॥ [१७८२] इय भीरु-पुरिस भेरव-दुहिएहिं भूरि-भीसण-मएहि । विक्खोहिओ वि बहुहा खुहइ मणागं पि-हु न सामी ।। [१७८३] ता निरिक्खिय-सामि-माहप्पु मुसुमूरिय-रोस-भरु मूलपाणि अप्पणु पयासिवि । पह-पाहहिं निवडि उण नियय-दोस सयलि वि खमाविधि ।। पसरिय-भत्ति समुल्लपिय- रोमंचंचिय-गतु । जक्खु पयासइ नह-विहि निरुवम-पहु-पय-भत्तु । [१७८४] ___ इय विचित्तहं तियस-तेरिच्छ माणुसियहं तम पडलु अवहरंतु पहु भुवण दिणयरु । संपत्तउ रायगिहि नयरि भविय-अरविंद-सरवरु ।। नालंदह बहियाए ठिउ तंतुवाय-सालाए । अह मंखलि मंखहं तणउ अगुब्भवु भदाए । १७८१. ३. क जलणु. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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