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________________ १ १११ २४३ नैमिनाहचरित्रे [११२१] विज्जुवेगय-नाम इहु चोरु घरि पविसिवि आहरण गहिउ तुरिउ वहि नीहरंतउ । आयण्णिय-वइयरिहिं अणु-पहेण धाविरिहिं पत्तउ ।। इहु अम्हिहिं इय निय-पहुहु आएसेण निवद्ध । वज्झ-घरहं निज्जंतु पुणु चिटई सुहड-निरुधु ॥ [११२२] किंतु संपइ लद्धिण एएण कंक्खल्लिउ एई इव देइ अम्ह नामु वि न पाडिउ । समुवागय इह तुमि वि तुडि-वसेण ता एहु वियारिउ ।। एयह सुहडह सन्निहिहि दोसारिहु अम्हाण । अप्पावसु खयरिंद तुहं पसिउण मग्गंताण ॥ [११२३] एत्थ-अंतरि ईसि विहसेवि अवराजिउ वज्जरइ होतु जइ न एहु दोसवंतउ । ता विलविरु करुण-रवु किह-णु मज्झ सरणम्मि एंतउ ॥ सामिण भेइण दंडिण वि इय छुट्टेइ निरुत्तु । एहु इह अ-खलिय-माण-धणु मह सरणम्मि पहुत्तु । [११२४] ता जहिच्छिउ खयर-भड तुभि सर-धोरणि-परिमुयह अहव चोर-मग्गणि असग्गहु । हउं एगु वि अज्जु लहु खयर-पहुहु एयहु नियंतहु ।। भजिसु तुम्ह समग्गहं वि चिर-पस रिउ वि मरटु । तिप्पउ तुम्ह तणुहिं जमु वि वहु-जिय-दलण-घरट्टु ॥ ११२२, १. भडिण. ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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