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________________ ५०! पढमभवि धण वुत्तंतु [४७] पटंतिहिं भट्ट-वहिं गायंतिहि गायणिहिं सुयण-सुहिहिं तक्खणि मिलंतिहिं नच्चंतिहि पण-तरुणि- सइहि सयल-जण-मण हरंतिहि । आणदिय-भुवण-यल-ठिय- पवर-तरुणि-पुरिसेण । काराविउ वद्धावणउं निविण फुरिय-हरिसेण । [४८] इय निरंतरु कुमर-विसयंमि किज्जंतइ परम-महि छट्ठ-दियहि अणुकमिण पत्तइ । वाहित्तइ पुर-पवर- लोइ कुमर-गुण-गहण-रत्तइ । निवड करावइ अविहवहिं तरुण-हियय-हरणीहि । गुरु-छट्ठिय-जागरण-महु सोहग्गिणि-तरुणीहि । [४९] अह पहुत्तइ कुमर-रयणस्सु एगारसमइ दियहि धरणि-पवरि लोयंमि मिलियइ । वर-भोयण-कुसुम-फल- पमुह-पवर-वत्थुमि दलियइ ॥ सामंतहं मंतिहिं पुरउ विक्कमधणिण भणीउ । गब्भवइण्णइ कुमरि धण- आगमु मई निसुणीउ ॥ [५०] ___ता विचिंतिउ मज्झ जो को वि कुल-गयण-ससहर-सरिसु तणय-रयणु होसइ पसत्थउ । दायव्वउं तस्सु धण नामु करिवि निय-जणु कयत्थउ ।। तत्तो तुम्हाण वि पुरउ हवउ एहु एयस्सु । सुपइट्ठिउ निरु सुइरु धण- नामु वसुह-सुहयस्सु ॥ ४७. १. भट्टभट्टै हि. ३. सुहिहिं ज. ४८. ७. क. तरुणि. ८. जट्टि य. ४९. २. रु. एगारसमहि. ५०. १. क. माइ जो. For Private & Personal Use Only Jain Education International 2010_05 www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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