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________________ २२८ निय बंधुहिं परियरिउ [९०७] तेहि मणगइ-चवलगइ-नाम हु यहि परिवारिउ गरुयर - सिरिण सिरि- दमवर - अभिहाण यहं वंदे विणु मुणि-वरह उचियासणि उवविसइ तणु मुर्णिदिण धम्म- कह पारद्धिय तह चित्तगइ नेमिनाहचरिउ Jain Education International 2010_05 [९०८] अह जिणिदह भणिय- नीईए सहिउ रयण-पदेविहिं । खयर-राय- सामंत-सचिविहिं ॥ वहु-गुण-मणि- भूरीण | पत्तु पुरउ सूरीण ॥ arita चित्तग जह वियरसु चरणु मह नित्थारसु एए वि मह चरण- रयण - वियरणिण पहु पाय- पउम रोमंच-अंचिउ । पाणि- पुडउ भाल - यलि संठिउ ॥ भव- निव्वेय- पहाण | खयराहिव-पमुहाण ॥ [९०९] ता विसेसिण जाय भव- विरइ भइ पुरउ मुणिवरहं पायहं । तह दुवे मवि मज्झ भायहं || पिययम- सुहि-सयणोह | पयडिय - सिव- सुह- वोह || [९१०] अहद सुंदर जुत्तु जुत्तु त्ति माकुणसु लिंबु इय चारितु विष्णु त आराहइ गुरु-पय- पउम अवगाहइ सुय रयण-निहि मणि भावण भावेइ || ९०७. ६. क. सिण. भणिवि तेण मुणि-वरिण तक्खणि । तयणु चित्तगइ मुणि वियक्खणु ॥ चरण-करण सेवेइ | For Private & Personal Use Only [ २१० www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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