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________________ ३६९ तइयभवि चित्तगइवुत्तंतु [३६६] एस उण सिरि-अच्चिमालिस्सु खयरिंदह अंगरुहु फुरिय-गरुय-माहप्प-वित्थरु । वहु-मंत-तंतोसहिहिं पत्त-कित्ति-धवलिय-दियंतरु ॥ निय-लायण्ण-पहाव-हय- माणिणि-माण-मर? । किरणवेग-नामिण पयडु दुज्जण-दलण-घरटु ॥ एस उण ससि-चयणि दाणेण परिनिज्जिय-गंधकरि फुरिय-तेय-अहरिय-दिवायरु । गंभीरिम रयण-निहि थिरिम वसुह नय-विहि-कयायरु ॥ वर-माल-क्खिवणिण सुयणु संभावसु गुण-धामु । विज्जाहर-पहु रवि-किरण- नंदणु रविरह-नामु ॥ [३६८] इय समग्गि वि अंव-धाईए पडिगोत्तुवित्तणिण चंद-कुंद-सिय-कित्ति-कहणिण । उवदंसिय-खयर-पहु- तणय न उण कुमरीए दिट्टिण ॥ संभाविउ एगो वि तहं मज्झि खयर-कुमराह । ता सयलु वि सो खयर-गणु खुहिउ न माइ धराहं ॥ एत्थ-अंतरि स-पहु-वयणेण एगयरिण कंचुगिण भणिउ पुरउ खयरिंद-कुमरहं । इगु मज्झह तुम्हह हर- हास-कास-सिय-कित्ति-पसरहं ॥ कोवि-हु पयडिय-नियय वलु लक्खण-सय-धरणीए । हवउ गहेविणु असि-रयणु पिययमु रयणवईए॥ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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