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________________ ३४५ ] तइयभवि चित्तगबुतंतु [३४२] एत्थ अंतरि फुरिय- माहपु सिरि-सूर ते यंगरुहू कोवारुण- कुडिल- नियसिरि-चित्तगइ - कुमारु वरभुय-वल-तोलिय-तियस-पहु जुय-वित्थिण्णय- वाहु [३४३] एक्कु संघइ देव्व - जोएण सर पसरहिं सय- सहस संरुद्ध-रवि-कर-नियर aft सु. सारहि न सु-सुहडु चित्तगण सर - जालियउ थिर होह मा भउ करह इय भणिरु विसंगहिउ Jain Education International 2010_05 एगरूत्र - जस-पसर-कंखिउ । नयण - जुएण पर-वल कडक्खिउ || विज्जा - सहस - साहु | [३४४] अरिरि नासह केण कज्जेण लक्ख- कोडि छाइय-नहंतर । कमल- सेन्नि निवडहिं निरंतर || न हउ न करि न पयाइ । जो न पणट्ठउ जाइ ॥ रणरंग- सुहं जिणिवि उववेत्तु सुमित्त-निवगंतु सुमित्तह नरवइहि सिरि-चित्तगइ - पसाय-वस अह लहु जय-जय-रव-मुहल यह aियस-नियंविणिहिं मुक्किय कुसुमहं बुद्धि || जणि सत्त तुम्हहं नियंतहं । कमल- कुमरु मग्गेण संतहं ॥ भुवण - जणिय- संतुट्ठि ! [३४५] अह मुविणु कमलु स-वलो वि भुव भरिव निय- कित्ति पसरिण । भणि भरिय-विफुरिय- हरिसिण | वियरिय अखलिय-सील | धरिय महासइ-लील ॥ For Private & Personal Use Only ८७ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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