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________________ श्री y पूज्य वाहण गीतम् “सदा गुरु ध्यान स्नान लहरि शोतल वहइ रे । कीर्त्ति सुजस विसाल सकल जग मह महइ रे । - साते खेत्र सुठाम सुबह नोपजइ रे । श्री गुरु पाय प्रसाद सदा सुख संपजइ रे ॥६४॥ सामग्री संयोग सुधर्म सहुइ सुणइ रे ! फलीया पुण्य व्यापार आचार सुहामणा रे । २ पुण्य सुगाल हवंति मिल्या श्री पूज्यजी रे । वाहण आव्या खेति बर वाइ हर ? रमजी रे || ६५ || जिहां २ श्रीगुरु आण, प्रवर्ते जिह किगइ रे । दिन २ अधिक जगीस जो थाइज्यों तिह किणइ रे । ज्यां लग मेरु गिरिन्द गयणि तारा घणा रे । तां लगि अविचल राज करउ, गुरु अम्ह तणा रे || ६६ || परता पूरण पास जिणेसर थंभणड र । श्रीगुरु ना गुण ज्ञानहर्ष भवियण भणउ रे || " कुशललाभ " कर जोडि श्रीगुरु पय नमइ रे । ११७ श्री पूज्य वाहण गीत सुणतां मन रमइ रे || ६७ || Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002600
Book TitleAetihasik Jain Kavya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherShankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
Publication Year
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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