SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 245
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह धरम धुरंधर धीर गिरओ गुणनिधि, जैन धर्म को राजीयो ए ॥६॥ ॥राग धन्याश्री॥ सफल ऋद्धि धन संपदा, कायम हम दिन आज । गुरु देखी साहि हरखियो, जिम केकी धन गाज ॥१७॥ घणी भुई चाली करि, आया अब हम पासि । पहुंचो तुम निज थानके, संघमनि पूरी आस ॥१८॥ वाजिब हयगय अम्ह तणा, मुंहता ले परिवार । पूज्य उपासरइ पहुंचवउ, करि आडम्बर सार ।।६।। बलतउ गुरुजी इम भणइ, सांभलि तूं महाराय । हम दोवाज क्या करां, साचउ पुन्य सखाय ।।१०।। आग्रह अति अकबर करी, म्हेलइ सवि परिवार । उच्छव अधिक उपासरइ, आवइ गुरु सुविचार ॥१०१।। राग आशावरी:हय गय पायक बहुपरि आगइ, वाजइ गुहिर निसाण । धवल मंगल द्यइ सूहव रंगइ, मिलीया नर राय राण ॥२॥ भाव धरीने भवियण भेटउ, श्रीजिनचन्दसूरिन्द । मन सुधि मानित साहि अकबर, प्रणमइ जास नरिन्द रे । भ०॥आं।। श्री सङ्घ चउविह सुगुरु साथइ, मंत्रीश्वर कर्मचन्द । पइसारो शाह परबत कीधउ, आणिमन आणंद रे ॥३ । भाव० ।। उच्छव अधिक उपाश्रय आव्या, श्री गुरु द्यइ उपदेश । अमीय समाणि वांणि सुगंता, भाजइ सयल किलेस रे ॥४॥भा०॥ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002600
Book TitleAetihasik Jain Kavya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherShankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
Publication Year
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy