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________________ पुद्गल के भेदः-पुद्गल के चार भेद होते हैं या इसे यों भी कह सकते हैं कि पुद्गल के भेद संघात की क्रिया चार प्रकार से होती है- स्कंध, स्कंधदेश, प्रदेश और परमाणु।' (1) स्कंधः-अनेक परमाणुओं के पिण्ड को स्कंध कहते हैं। (2) स्कंधदेशः-स्कंध के किसी कल्पित भाग को स्कंधदेश कहते है। (3) प्रदेशः-स्कंध के निरंश अंश (अविभाज्य अंश को) को प्रदेश कहते हैं। (4) परमाणुः-स्कंध से पृथक् हुए निरंश भाग को परमाणु कहते हैं।' - इन चार भेदों में मुख्य भेद तो स्कंध और परमाणु ही है। इन कंध और परमाणु की उत्पत्ति तीन प्रकार से होती है। इन स्कंधों की उत्पत्ति तीन प्रकार से बतायी गयी है- भेद से, संघात से तथा भेद और संघात दोनों से। भेदः-अंतरंग और बहिरंग इन दोनों प्रकार के निमित्तों से संहत स्कंधों के विदारण को भेद कहते हैं। संघातः-भिन्न-भिन्न हुए पदार्थों के बंध होकर एक हो जाने को संघात कहते हैं। भेद संघातः-दो परमाणुओं के स्कंध से दो प्रदेशवाला स्कंध उत्पन्न होता है। दो प्रदेशवाले स्कंध और अणु के संघात से या तीन अणुओं के संघात से तीन प्रदेशवाला स्कंध उत्पन्न होता है। इस प्रकार संख्यात, असंख्यात, अनंतानंत अणुओं के संघात से उतने-उतने प्रदेशों वाले स्कंध उत्पन्न होते रहते हैं। इन्हीं संख्यात आदि परमाणुवाले स्कंधों के भेद से दो प्रदेशवाले स्कंध तक होते हैं। इस प्रकार एक समय में होने वाले भेद और संघात इन दोनों से दो प्रदेश वाले आदि स्कंध होते रहते हैं। तात्पर्य यह है कि जब अन्य स्कंध से भेद होता है और अन्य का संघात तब एक साथ भेद और संघात इन दोनों से स्कंध की उत्पत्ति होती है। 1. उत्तराध्ययन 36.10 एवं पंचास्तिकाय 74. 2. पंचास्तिकाय 75 3. त.सू. 5.25 एवं भगवती 2.10.11 4. त.सू. 5.26 5. स.सि. 5.26576 190 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002592
Book TitleDravyavigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyutprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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