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________________ DILDumपाग सुरक्षाकर्मियों ने हाथियों पर तीर छोड़े। परन्तु हाथी-दल रुका नहीं। चारों तरफ भूचाल-सा दृश्य उपस्थित हो गया। अरविंद मुनि ने सोचा-'यह जन-संहार क्यों हो रहा है?' यात्रियों की रक्षा करने वे स्वयं उठे और जिधर हाथियों का दल आ रहा था, उधर जाकर काउसग्ग (ध्यान) करके खड़े हो गये। भयभीत यात्री जान बचाने के लिए मुनिराज के पीछे खड़े हो गये। मुनि के तपोबल का प्रभामंडल रक्षाकवच बनकर हाथियों के सामने खड़ा हो गया। ____ क्रोध में चिंघाड़ते, सैंड़ उछालते हाथी वहीं पर रुक गये। यूथपति हाथी आगे आया, सबको आगे बढ़ने का आदेश देने लगा-"रुक क्यों गये? बढ़ो! इन्हें भगा दो! मार डालो!" परन्तु कोई भी हाथी आगे नहीं बढ़ा। यूथपति ने जैसे ही सामने खड़े अरविंद मुनि को देखा तो वह भी पत्थर की तरह स्तब्ध हो गया। उसने चिंद्याड़ मारी, सैंड़ उछाली, जमीन पर पाँव पटके परन्तु आगे एक कदम भी नहीं बढ़ा सका। उसने हाथियों को आदेश दिया-'"शांत हो जाओ। उपद्रव बंद करो।" सोचने लगा-'यह तपस्वी कौन है ? क्यों हमें रोक रहा है?' 10 क्षमावतार भगवान पार्श्वनाथ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002583
Book TitleSachitra Sushil Kalyan Mandir Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilmuni, Gunottamsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year2004
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Worship
File Size30 MB
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