SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 228
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 4 वसुंधरा ने कमठ से कहा- “जेठानी को हमारी पाप-लीला का पता चल गया है। वह कभी मुझे मार डालेगी।” कमठ क्रोध में आग-बबूला होकर जलती लकड़ी लेकर अपनी पत्नी वरुणा पर झपटा - "तेरी यह हिम्मत ! मेरे सुख में अड़ंगा लगाती है ? आज तुझे जलाकर राख कर डालूँगा।” उधर सामने ही मरुभूति आता मिल गया। उसने भाई का हाथ पकड़ लिया- “तात ! क्षमा करो ! मेरी माता तुल्य भाभी को क्यों मारते हो ?" कमठ बड़बड़ाता वहीं रुक गया। उसने पूछा - "भाभी ! क्या बात हो गई ?" वरुणा ने दोनों की पाप--कहानी सुनाकर कहा - "तुम तो घर में रहते नहीं हो। पीछे से यह पाप-लीला चलती है।” मरुभूति (कानों पर हाथ रखकर ) - "नहीं ! नहीं ! मेरा बड़ा भाई ऐसा नीच काम नहीं कर सकता।” वरुणा के बार-बार कहने पर मरुभूति बोला- "मैं कानों सुनी बात पर विश्वास नहीं करता। आँखों से देखकर ही कोई निर्णय लूँगा।" . Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only क्षमावतार भगवान पार्श्वनाथ www.jainelibrary.org
SR No.002583
Book TitleSachitra Sushil Kalyan Mandir Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilmuni, Gunottamsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year2004
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Worship
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy