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________________ राजस्थान जैन तीर्थ परिचायिका तीनों का ही तीर्थक्षेत्र है। क्षेत्र पर पौषवदी १.से 10 तक मेला लगता है। यहाँ पहाड़ के नीचे तथा ऊपर एक-एक जिन मन्दिर है। ऊपर के मन्दिर में लगभग आधा मीटर ऊँची भगवान पार्श्वनाथ जी की एक प्रतिमा बालू की बनी हुई है। पहाड़ की तलहटी में भी एक जैन मन्दिर है जिसमें भगवान पार्श्वनाथ जी की विशाल अवगाहना की खण्डित प्रतिमा है। ठहरने की व्यवस्था : मन्दिर के पास एक नवनिर्मित धर्मशाला भी है। पेढी जिला चित्तौडगढ मूलनायक : श्री करेडा पार्श्वनाथ भ., श्यामवर्ण पद्मासनस्थ। - मार्गदर्शन : यह स्थान चित्तौड़गढ़ से 56 कि.मी. दूरी पर भूपालसागर गाँव के मध्य में है। मन्दिर श्री करेडा तीर्थ से थोड़ी दूरी पर बस स्टैंड है। रेल्वे स्टेशन मन्दिर से लगभग 1 कि.मी. दूर पर स्थित है। चित्तौड़गढ़-उदयपुर (वेस्टर्न रेल्वे) पर भूपालसागर रेल्वे स्टेशन तीर्थ से 4 कि.मी. दूर है। पेढ़ी: चित्तौड़गढ़-उदयपुर मार्ग वाया सोवता माताजी की पाण्डोली, नारेला, सींगपुर, छोटा श्री करेडा पार्श्वनाथ तीर्थ निम्बाहेड़ा, केसरखेड़ी, कपासन होते हुए 55 कि.मी. दूरी। मु. पो. भूपालसागर, उदयपुर-चित्तौड़गढ़ मार्ग वाया डबोक-मावली, फतहनगर होते हुए 68 कि.मी. दूरी है। जि. चित्तौड़गढ़ उक्त सड़क मार्ग पर राजस्थान राज्य परिवहन की नियमित बस सेवा उपलब्ध है। (राजस्थान)-312 204 परिचय : यहाँ के कुछ मूर्तियों पर विक्रम संवत 1303, 1341 तथा 1496 के लेख उत्कीर्ण हैं। फोन : 01476-84233 मांडवगढ़ के महामंत्री श्री पेथडशाह ने श्री पार्श्वनाथ भगवान के मंदिर का निर्माण किया था, ऐसे उल्लेख मिलते हैं, लेकिन आज वह मंदिर अस्तित्व में नहीं है। यहाँ अनेक प्राचीन मंदिरों के खंडहर मिलते हैं। मूलनायक जी की अति आकर्षक, चमत्कारिक प्रतिमा-दोहरे शिखर बंध जिनालय में स्थित है। यह जिनालय विशाल जलाशय "भूपालसागर" के पूर्वी किनारे पर सुन्दर वातावरण में स्थित है। श्री करेडा पार्श्वनाथ जी का जन्म कल्याणक महोत्सव प्रत्येक वर्ष पौष वद 10 को अत्यंत आकर्षक एवं मनमोहकरूप से यहाँ आयोजित किया जाता है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिये मंदिर के अहाते में ही विशाल आधुनिक सुविधायुक्त 40 कमरों की धर्मशाला है भोजनशाला एवं नाश्ते का उत्तम प्रबंध है। पेढ़ी : श्री चित्रकूट तीर्थ मूलनायक : श्री आदिनाथ भगवान, श्वेतवर्ण। (चित्तौडगढ) मार्गदर्शन : चित्तौड़गढ़ धर्मशाला से लगभग 3.5 कि.मी. तथा किले के मन्दिरों से 7 कि.मी. दूर चित्तौड़गढ़ रेल्वे स्टेशन है। स्टेशन से बस, तांगा व टैक्सी की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। मंदिर तक पक्की सड़क है। उदयपुर, जयपुर, अजमेर आदि नगरों से यहाँ रेल सेवा उपलब्ध . श्री आनंदजी कल्याणजी है। पर्यटन क्षेत्र होने के कारण यहाँ नियमित बस सेवा भी उपलब्ध है। चित्तौड़गढ़, उदयपुर जैन श्वेताम्बर मंदिर पेढी से 121 कि.मी., भीलवाड़ा से 55 कि.मी., राजसमन्द से 106 कि.मी. दूर है। मु. पो. चित्तौड़गढ़, परिचय : चित्तौड़ का किला सारे भारत में विख्यात है। "गढ़ तो चित्तौड़गढ़, बाकी सब गलैया" जि. उदयपुर (राजस्थान) इस कहावत से ही इसकी विशालता बतायी गयी है। महाराणा प्रताप का इस किले के साथ फोन : (01472) 42162 सम्बन्ध था। श्री शत्रुजय तीर्थ का सोलहवाँ उद्धार करने वाले महामंत्री कर्मचंद बच्छावत यहीं के निवासी थे। महाराणा प्रताप जब अकबर की सेना के सामने हार गये और वे देश छोड़कर जा रहे थे, तब दानवीर भामाशाह ने अपना सारा धन उन्हें अर्पण किया। उसकी Ja 50 ubation International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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