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________________ जैन तीर्थ परिचायिका बिहार मूलनायक : श्री वासुपूज्य भगवान, पद्मासनस्थ। जिला भागलपुर मार्गदर्शन : यह तीर्थ भागलपुर स्टेशन से 6 कि.मी. दूर तथा नाथ नगर रेल्वे स्टेशन से 1.5 कि.मी. दूर गंगा नदी के किनारे चम्पा नाला के पास जिसे चम्पानगर (चम्पापुरी) कहते हैं, स्थित है। स्टेशन से बस, टैक्सी, ताँगा, रिक्शा आदि सभी साधन उपलब्ध हैं। भागलपुर । (चम्पानगर) बिहार की प्रसिद्ध सिल्क नगरी है। कोलकाता से यह 575 कि.मी., पटना से 235 कि.मी. पेढ़ी: गया से 297 कि.मी., वाराणसी से 470 कि.मी. दूर है। यहाँ से विभिन्न स्थानों के लिए बस श्री जैन श्वेताम्बर सोसायटी सेवा एवं रेल सेवा उपलब्ध है। तीर्थ श्री चम्पापुरी परिचय : भगवान श्री आदिनाथ ने देश को 52 जनपदों में विभाजित किया था, उनमें अंग जनपद चम्पानगर, भी एक था। चम्पा अंग जनपद की राजधानी थी। किसी समय यह नगर मीलों तक फैला भागलपर-812 004 हुआ अत्यन्त वैभव सम्पन्न था। युगादिदेव श्री आदिनाथ भगवान ने इस पवित्र भूमि को (बिहार) अपने चरणों से स्पर्श करके पवित्र बनाया है। नाथनगर, भागलपुर व मन्दागिरि पर्वत पर फोन : 0641-422205 दिगम्बर जैन मन्दिर हैं। यह मन्दिर प्राचीन है। नाथनगर का कांच का मंदिर दर्शनीय है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिये मन्दिर के अहाते में ही सुविधायुक्त धर्मशाला है। मूलनायक : श्री महावीर भगवान, चतुर्मुख चरणपादुकाएँ। जिला गिरडिह मार्गदर्शन : यह तीर्थ बराकर गाँव के पास बराकर नदी के तट पर स्थित है। मधुबन से यह . 18 कि.मी. दूर है। यह गिरडिह से 12 कि.मी. दूर है यहाँ से बस व टैक्सी की सुविधा है। " । श्री ऋजुबालुका तीर्थ गिरडिह रेल्वे स्टेशन पर मधुपुर (37 कि.मी.) से ट्रेनें आती रहती हैं। कोलकाता से धनबाद होते हुए गिरडिह आया जा सकता है। पेढ़ी: परिचय : आज की बराकर नदी को प्राचीन काल में ऋजुबालुका नदी कहते थे। इसके तट पर श्री जैन शेताम्बर श्यामाक किसान के खेत में शाल वृक्ष के नीचे वैशाख शुक्ला 10 के दिन पिछली पोरसी सोसायटी. बराकर के समय विजय मुहूर्त में भगवान महावीर को केवलज्ञान प्राप्त हुआ। चौबीसवें तीर्थंकर श्री बन्दरकपी महावीर भगवान के बारह वर्ष की घोर तपश्चर्या के कारण व केवलज्ञान प्राप्ति के कारण यहाँ जिला गिरडिह (बिहार) के परमाणु अत्यन्त पवित्र बन चुके हैं। इस जगह की महानता अवर्णनीय है। नदी तट पर स्थित मन्दिर का दृश्य अतीव रमणीय है। इसी नदी में भगवान महावीर की एक प्राचीन प्रतिमा प्राप्त हुई थी जिसकी कला अति सुन्दर है जो मन्दिर में विराजमान है। ठहरने की सुविधा : ठहरने के लिये सुविधायुक्त धर्मशाला है। मूलनायक : श्री शामलिया पार्श्वनाथ भगवान, पद्मासनस्थ। श्री सम्मेदशिखर मार्गदर्शन : यह विश्व प्रसिद्ध तीर्थ मधुबन के पास समुद्र की सतह से 4479 फुट ऊँचे तीर्थ सम्मेदशिखर पहाड़ पर, जिसे पार्श्वनाथ हिल भी कहते हैं, पर स्थित है। गिरडिह डुमरी मार्ग पर गिरडिह से 30 कि.मी. दूर तथा डुमरी से 15 कि.मी. दूर मधुबन है। पारसनाथ स्टेशन पेढ़ी : से मधुबन (वाया इसरी) 25 कि.मी. है। पारसनाथ स्टेशन पर लगभग सभी टेनों का ठहराव श्री जन श्वताम्बर है। पारसनाथ स्टेशन से मधुबन के लिए बस सेवा उपलब्ध है। दिगम्बर जैन ट्रस्ट की बस सोसायटा, सुबह-शाम यहाँ आती-जाती है। जीप एवं प्राइवेट बसों की भी सुविधा है। पूर्व सूचना देने कोठा मधुबन, शिखरजा, पर श्वेताम्बर पेढी की बस भी आ सकती है। मधबन से आगे शिखर तक पैदल यात्रा की जिला गिराडह (बिहार) जाती है। वैसे घमावदार मार्ग से 16 कि.मी. की दरी तय कर वायरलैस केन्द्र तक जीप फान : 06532-32226, 32260 आदि जा सकती है। वहाँ से 1 कि.मी. दूरी पर पार्श्वनाथ भगवान का मन्दिर है। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelr25rg
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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