SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 163
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कर्म बन्धके कारण तथा भेदप्रभेद चित्रकारकी भाँति गति, शरीर, संस्थान, वर्ण, गन्ध आदि विभिन्न प्रकारके चित्रोंसे जीवको चित्रित करता है।' नाम कर्मके बन्धके कारण नाम कर्मकी प्रकृति दो प्रकारसे बन्धको प्राप्त होती है। मन, वचन, काय की कुटिलतासे, श्रेयोमार्गकी निन्दासे, कुटिल मार्गमें स्वयं प्रवृत्त होने और अन्यको प्रवृत्त करानेसे अशुभ नाम कर्मका बन्ध होता है। ऐसा जीव आत्म प्रशंसा, परनिन्दा करता हुआ, प्रमादी, विषय लोलुपी, हिंसक और मिथ्याभाषी होकर, नित्य पापकर्मोंसे अशुभ नाम कर्मका बन्ध करता रहता है। इसके विपरीत मन वचन और काय की सरलता पूर्वक प्रशम, संवेग, अनुकम्पा, आस्तिक्यादि भावोंको धारण करनेसे शुभ नाम कर्मका बन्ध होता है । इस प्रकार शुभ कार्योंसे शुभ नाम कर्म और अशुभ कार्यों से अशुभ नाम कर्मका बन्ध होता है।' अन्य दर्शनोंमें शरीर, जाति, अंगोपांग आदिका रचयिता ईश्वरको माना गया है, परन्तु जैनदर्शनानुसार संसारी जीव स्वयं नामकर्म योग्य पुद्गलोंको आकर्षित करता है । बन्धको प्राप्त नाम कर्म ही कालान्तर में शरीरादिकी रचनाके रूपमें फलोन्मुख होता है। नाम कर्मके भेद नाम कर्मकी मूल प्रकृतियाँ बयालीस और उत्तर प्रकृतियाँ तिरानवें हैं । ६ इन प्रकृतियोंको चार भागों में विभक्त किया जा सकता है -- पिण्ड प्रकृतियाँ, प्रत्येक प्रकृतियाँ सदशक और स्थावर दशक। इनको अग्रतालिका द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है। १. चित्रकार पुरुषवन्नानारूपकरणता । वृहद् द्रव्यसंग्रह, ब्रह्मदेव टीका, गाथा ३३ २. योगवक्रता विसंवाद चाशुभस्य नाम्न: तत्त्वार्थसूत्र, अध्याय ६, सूत्र २२ ३. तद्विपरीतं शुभस्य, अध्याय ६, सूत्र २३ ४. शुभ: पुण्यस्याशुभ: पापस्य, वही, सूत्र ३ ५. तत्त्वार्थ सूत्र, अध्याय ८, सूत्र ११ ६. षट्खण्डागम ६, पुस्तक १, सूत्र २८ ७. वीरचन्द, आर. गाँधी, द कर्म फिलॉसफी १९१३, पृ० ३६, ३७ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002576
Book TitleJain Darshan me Karma Siddhanta Ek Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManorama Jain
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1993
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy