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________________ आयारो भी माननी होगी। मैं भोजन आदि के विषय में स्वतन्त्र रहूंगा। उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। यह बात मान्य हो, तभी मैं दो वर्ष तक रह सकता हूं।' नन्दीवर्द्धन आदि ने इसे स्वीकार कर लिया। ___ इस अवधि में भगवान् ने सजीव वस्तु का भोजन नहीं किया और सजीव पानी नहीं पिया। उन्होंने निर्जीव जल से हाथ-पैर आदि की शुद्धि की, किन्तु पूरा स्नान नहीं किया। भगवान् ने उस अवधि में अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह का जीवन जिया ।वे रात्रि-भोजन नहीं करते थे। वे परिवार के प्रति भी अनासक्त रहे । यह गृहवास में साधुत्व का प्रयोग था। ११४ ७. उस समय यह लोकिक मान्यता प्रचलित थी कि स्त्री अगले जन्म में भी स्त्री होती है और पुरुष पुरुष होता है;धनी अगले जन्म में भी धनी और मुनि मुनि होता है। भगवान महावीर ने इस लौकिक मान्यता को अस्वीकार कर 'सर्वयोनिक उत्पाद' के सिद्धान्त की स्थापना की। उसके अनुसार कर्म की विविधता के कारण भावी जन्म में योनि-परिवर्तन होता रहता है। १११६ ८. भगवान् गृहवास में रहते हुए अनासक्त जीवन जी रहे थे, तब उनके चाचा सुपार्श्व, भाई नन्दीवर्द्धन तथा अन्य मित्रों ने कहा- तुम शब्द, रूप आदि विषयों का भोग क्यों नहीं करते? भगवान् ने कहा- इन्द्रियां स्रोत हैं। इनसे बन्धन आता है। मेरी आत्मा स्वतन्त्रता के लिए छटपटा रही है। इसलिए मैं इन विषयों का भोग करने में असमर्थ हूं। ___ यह सुनकर उन्होंने कहा-कुमार । तुम ठंडा पानी क्यों नहीं पीते ? सचित्त आहार क्यों नहीं करते ? भगवान् ने उत्तर दिया-हिंसा स्रोत है। उससे बन्धन आता है । मेरी आत्मा स्वतन्त्रता के लिए छटपटा रही है। इसलिए मैं मेरे ही जैसे जीवों का प्राणवियोजन करने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा-कुमार ! तुम हर समय ध्यान की मुद्रा में बैठे रहते हो। मनोरंजन क्यों नहीं करते ? . भगवान् ने कहा-मन, वाणी और शरीर-ये तीनों स्रोत हैं। उनसे बन्धन आता है। मेरी आत्मा स्वतन्त्रता के लिए छटपटा रही है। इसलिए मैं उनकी चंचलता को सहारा देने में असमर्थ हूं। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002574
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Aayaro Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages388
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size5 MB
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