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________________ ७२ परिशिष्ट । सन्मानदानविदुरो मुनिपुङ्गवानां सदृद्धबान्धवयुतो..... कर्मराजः ॥४२॥ कर्मी श्रीकर्मराजोऽयं कर्मणा केन निर्ममे ? । तेषां शुभानि कर्माणि यैर्दृष्ट : पुण्यवानसौ ॥४३ ॥ श्यधीशः पुण्डरीकस्तु मरुदेवा कपर्दिराट् । श्राद्धश्रीकर्मराजस्य सुप्रसन्ना भवन्त्वसी ॥४४॥ श्रीशत्रुञ्जयतीर्थोद्धारे कमठा[य] सानिध्यकारक सा० जइता भा० बाई चाम्पू पुत्र नाथा भ्रातृ कोता ॥ अहम्मदावादवास्तव्य सूत्रधारकोला पुत्र सूत्रधार विरु [पा] सू० भीमा ठ० वेला ठ० वछा ॥ श्रीचित्रकूटादागत सू० टीला सू० पोमा सू० गाङ्गा सू. गोरा सू० ठाला सूत्र० देवा ॥ सूत्र० नाकर सू० नाइआ सू० गोविंद सू० विणायग सू० टीका सू० वाछा सू० भाणा सू० का [ल्हा] सूत्र० देवदास सू० टीका सू० ठाकर... प० काला वा० विणाय० । ठा० छाम ठा० हीरा सू० दामोदर वा० हरराज सू० थान ।। मङ्गलमादिदेवस्य मङ्गलं विमलाचले । मङ्गलं सर्वसङ्घस्य मङ्गलं लेखकस्य च ॥ पं. विवेकधीरगणिना लिखिता प्रशस्तिः ॥ पूज्य पं. समयरत्न शिष्य पं. लावण्यसमयस्त्रिसन्ध्यं श्री आदिदेवस्य प्रणमतीतिभद्रम् ॥ श्रीः ॥ ठा० हरपति ठा० हासा ठा० मूला ठा० कृष्णा ठा० का [ल्हा] ठा० हर्षा सू० माधव सू० बाठू ॥ लो सहज ॥ (प्राचीन जैनलेखसंग्रह-नं. १) ॥ ॐ ॥ संवत [त्] १५८७ वर्षे शाके १४५३ प्रवर्त्तमाने वैशा (ख) वदि ६ । रवौ ॥ श्रीचित्र[कूट] वास्तव्य श्रीओशवा[ल] * यह लेख तीर्थपति श्री आदिनाथभगवान की मूर्ति की बैठक पर खुदा हुआ है । ____Jain Education International 2010_02 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002553
Book TitleShatrunjayatirthoddharprabandha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherShrutgyan Prasarak Sabha
Publication Year2009
Total Pages114
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Tirth
File Size6 MB
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