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________________ ऐतिहासिक सार-भाग ५१ एक प्रबल उत्कंठा है, उसे पूर्ण करने दें ।' शाहजादा ने साह की इच्छा पूर्ण करने देने का वचन दिया और फिर उसकी अनुमति लेकर वहाँ से अन्यत्र गमन किया । इधर गुजरात में मुजफ्फरशाह की मृत्यु हो गई और उसके तख्त पर सिकन्दर बैठा । वह अच्छा नीतिवान् था, लेकिन दुर्जनों ने उसे थोडे ही दिनों में मार डाला । यह वृत्तांत जब बहादुरखान ने सुना तो वह शीघ्र गुजरात को लौटा और चांपानेर पहुंचा । वहीं संवत् १५८३ के भाद्रपद मास की शुक्ल द्वितीया और गुरुवार के दिन, मध्याह्न समय में उसका राज्याभिषेक हुआ और बहादुरशाह नाम धारण किया* । बहादुरशाह ने अपने राज्य की लगाम हाथ में लेकर पहले पहले जितने स्वामीद्रोही, दुर्जन और उद्धत मनुष्य थे, उन सब को कडी शिक्षा दी; किसीको मार डाला, किसीको देशनिकाल किया, किसीको कैद में डाला, किसीको पदभ्रष्ट किया और किसीको लूट लिया । उसके प्रताप के डर के मारे निरंतर अनेक राजा आकर बडी बडी भेंटें सामने धरने लगे । पूर्वावस्था में जिन जिन मनुष्यों ने उस पर उपकार या अपकार किया था, उन सबको क्रमशः अपने पास बुला बुलाकर यथायोग्य सत्कार या तिरस्कार कर कृतकर्म का फल पहुंचाने लगा । सुकर्मी कर्मासाह को भी, उसके किये हुए नि:स्वार्थ उपकार को स्मरण कर, बडे आदर के साथ कृतज्ञ बदशाह ने अपने ___ 'गुजरातनो अर्वाचीन इतिहास' नामक पुस्तक में लिखा है कि, "सिकंदर शाह ने थोडे महिने राज्य किया, इतने में इमादुल्मुल्क खुशकदम नाम के अमीर ने उसे मार डाला और उसके छोटे भाई नासिरखान को महमूद दूसरा, इस नाम से बादशाह बनाकर, उसकी और से स्वयं राज्य करने लगा । लेकिन दूसरे अमीर उसके विरोधी बनकर बहादुरखान जो हिन्दुस्तान से वापस आया था, उसके साथ मिल गये । बहादुरखान के पक्ष के अमीरों में धंधुका का मलिक ताजखान मुख्य था । बहादुरखान एकदम कूच कर चांपानेर पहुंचा । वहाँ उसने इमादुल्मुल्क को पकड कर मार डाला और नासिरखान को जहर देकर, स्वयं बहादुरशाह नाम धारण कर, १५२७ ई. में तख्त पर बैठा ।" Jain Education International 2010_02 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002553
Book TitleShatrunjayatirthoddharprabandha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherShrutgyan Prasarak Sabha
Publication Year2009
Total Pages114
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Tirth
File Size6 MB
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