SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आधुनिक वृत्तान्त २७ नामक ऐतिहासिक ग्रंथ के कर्ता मेरुतुंगसूरिने इस उद्धार के प्रबंध में लिखा है कि - सौराष्ट्र (काठियावाड) के किसी सुंवर नामक माण्डलिक शत्रु को जीतने के लिये महाराज कुमारपाल ने अपने अमात्य उदयनमंत्री को बहुत सी सेना देकर भेजा । वढवान शहर के पास जब मंत्री पहुंचा, तब शत्रुजयगिरि को नजदीक रहा हुआ समझकर, सैन्य को तो आगे काठियावाड में रवाना किया और आप गिरिराज की यात्रा के लिये शत्रुजय की ओर रवाना हुए । शीघ्रता के साथ शत्रुजय पहुंचा और वहां पर भगवत्प्रतिमा का दर्शन, वंदन और पूजन किया । उस समय वह मंदिर पत्थर का नहीं बना हुआ था, परंतु लकडी का बना था ।* मंदिर की अवस्था बहुत जीर्ण थी । उसमें अनेक जगह फाट-फूट हो गई थी । मंत्री पूजन करके प्रभु-प्रार्थना करने के लिये रंगमंडप में बैठा और एकाग्रता के साथ स्तवना करने लगा । इतने में मंदिर की किसी एक फाट में से एक चूहा निकला और वह दीपक की बत्ती को मुंह में पकडकर पीछे कहीं चला गया । मंत्री ने यह देखकर सोचा कि, मंदिर काष्ठमय होकर बहुत जीर्ण है, इसलिये यदि दीपक की बत्ती से कभी अग्नि लग जाय तो तीर्थ की बडी भारी आशातना के हो जाने का भय है । मेरी इतनी सम्पत्ति और प्रभुता किस काम की है । यह सोचकर वही मंत्रीने प्रतिज्ञा कर ली की, इस युद्ध से वापस लौटकर मैं इस मंदिर का जीर्णोद्धार करूंगा और लकडी के स्थान में पत्थर का मजबूत मंदिर बनाऊंगा । मंत्री वहां से चला और थोडे ही दिनों में अपने सैन्य से जा मिला । शत्रु ___ * गुजरात में पूर्वकाल में बहुत करके लकडी ही के मकान बनाये जाते थे । इसका निर्णय इस वृत्तान्त से स्पष्ट हो जाता है । गुजरात की प्राचीन राजधानी वल्लभी नगरी के ध्वंसावशेषों में पत्थर का काम कुछ भी उपलब्ध नहीं होता, इसलिये पुरातत्त्वज्ञों का अनुमान है कि, इस देश में पहले लकडी और ईंट ही के मकान बनाये जाते थे । Jain Education International 2010_02 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002553
Book TitleShatrunjayatirthoddharprabandha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherShrutgyan Prasarak Sabha
Publication Year2009
Total Pages114
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Tirth
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy