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________________ ई.स. १८३६ में हुआ था। आपका जन्म समय निश्चित रूपसे ज्ञात न होने के कारण, प्राप्त जन्मकुंडली पर आधारित अंदाजित समय प्रायः प्रातःकाल ४ से ६ बजे तकका मान सकते हैं । 'श्री आत्मानंदजी जन्म शताब्दि स्मारक ग्रंथ' श्रीमद्विजय वल्लभ सुरीश्वरजी म. सा. द्वारा लिखित लेखाधारित-प्राप्त जन्म कुंडली६ बुध, शुक्र, सूर्य १२ राहु चंद्र शनि केतु मंगल गुरु आपकी जन्मकुंडलीका विहंगावलोकन : आपकी जन्मकुंडलीका निरीक्षण करते हुए ज्योतिषशास्त्रके सिद्धान्तानुसार विश्लेषण करने से आपका बाह्याभ्यन्तर व्यक्तित्व, जीवन प्रसंग, गुण-दोषादिका विशिष्ट मूल्यांकन करके आपके प्रकटाप्रकट गुणावगुणका निरावरण किया जाता है। आपकी जन्म कुंडलीके स्थान-राशि-ग्रहादि की परिस्थिति विशेष पर प्रथम दृष्टिपात करनेसे निम्नांकित चित्र दृष्टिपथ पर उभर आता है। इस जन्मकुंडलीमें कुंभलग्न है। चारों-केन्द्र स्थानमें कोई भी ग्रह बिराजमान नहीं है। नवम स्थानको छोड़कर त्रिकोणके स्थान भी बिना ग्रहोंका-रिक्त है। अतएव प्रथम नजरमें निर्बल दिखाई देनेवाली यह कुंडली अत्यन्त बलवत्तर है; क्योंकि- प्रथम स्थानका अधिपति-लग्नेश (शनि) उच्चका (तुलाका) बनकर भाग्य स्थानमें रहा है। द्वितीय स्थानमें जल तत्त्ववाली मीन राशिमें सूर्य, प्रबल योगकारक उच्चका शुक्र और नीच भंग बुध-युति सम्बन्धसे स्थित है एवं उच्चके स्वगृह दृष्टा गुरुकी नवम-पूर्ण दृष्टि से दृष्ट है। तीनों के युति सम्बन्धसे संन्यास योग बनता है। तृतीय स्थानमें मेष राशिमें बलवान राहू और चंद्र यति संबंधसे बिराजित हैं। तृतीयेश-कर्क का मंगल नीचका होने पर भी उपचय स्थानमें उच्चके गुरु के साथ युति संबंधसे 'नीचभंग' राजयोग प्राप्त करता है। तृतीयेश मंगल और षष्ठेश चंद्रका परिवर्तन योग होता है। तृतीय स्थान स्थित चंद्र और बलवान राहु उच्चके शनिके साथ प्रतियुति दृष्टि संबंध रखते हैं। चतुर्थ (केन्द्र) स्थानमें एक भी ग्रह नहीं है। शुभ एवं स्थिर राशि वृषभ, जिसका स्वामी, स्वगृह दृष्टा गुरुसे दृष्ट प्रबल योगकारक उच्चका शुक्र है। पंचम (त्रिकोण) स्थानमें भी एक भी ग्रह नहीं है। मिथुन राशि है जिसका स्वामी (105) Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002551
Book TitleSatya Dipak ki Jwalant Jyot
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiranyashashreeji
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1999
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size22 MB
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