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________________ विषयानुक्रमणिका क्रम विषय पृष्ठ पर्व-१. १ से ३५ पर्व-२ ३६ से ८१ श्रीमद्धिजयानंद सूरीश्वरजी के हस्ताक्षर श्रद्धेय गुरुवर्यो के आशीर्वचन प्रस्तावना - शांतिदूत श्रीमद्धिजय नित्यानंद सूरीश्वरजी म.सा. प्राक्कथन (अंतर दर्पण दर्शन) डॉ. किरणयशाश्रीजी म. प्रासंगिक हार्दिक समर्पण श्री आत्मानंदजी महाराजजीका गद्या साहित्य - मंगलाचरण - प्रस्ताविक - तत्कालीन परिस्थितियाँ विविध परिस्थिति अवलम्बित विविध रचना शैलीका परिचय - पूर्वाचार्यों के प्रति दृढ़ आस्था और एकनिष्ठ भक्ति - कृतियों में ऐतिहासिकता एवं निर्भीक सत्य प्ररूपणायें - भाषा शैली - भाषा प्रकाराधारित व्याकरणिक परिमार्जन - भाषा संरचना प्रविधि - भाषाकी सरलता - माधुर्य - प्रथम जैन हिन्दी लेखक - श्री आत्मानंदजी महाराजजीका पद्य साहित्य - मंगलाचरणकाव्यशैलियाँ - जैन काव्यशैली स्वरूप - कोमल, ऋजु, नम हदय तंत्री के त्रिताल - कलात्मकता, भावात्मकता और दार्शनिकता के पुट निदर्शन - काव्यमें अभिव्यंजना शिल्प - अलंकार, प्रतीक विधान, बिम्बविधान, ध्वन्यात्मकता, छंद विधान, शब्द चयन, रसोपलब्धि राग-रागिनियोंसे नवाजित अमर काव्य देहका वैभविक वर्णन - निष्कर्ष श्री आत्मानंदजी महाराजजी के साहित्यका विश्वस्तरीय प्रभाव - मंगलाचरण - प्रस्ताविक - आचार्यश्री का मिशन - जैन समाज एवं जगत पर फ्रण - ऐतिहासिकता पर सर्चलाइट - निष्कर्ष. श्री आत्मानंदजी महाराजजीकी महान विभूतियों से तुलना - मंगलाचरण - प्रस्ताविक - सूरि पुरंदर श्री हरिभद्रजी म.सा., महामहोपाध्याय श्रीमद् यशोविजयजी म.सा., अध्यात्म योगीश्री आनंदघानजी म.सा., श्री चिदानंदजी म.सा., श्री रामभक्त संत तुलसीदासजी, आर्यसमाज संस्थापक महर्षि दयानंदजी, अर्वाचीन साहित्यिक युग प्रवर्तक भारतेन्दु हरिश्चन्द्रजी से तुलना - पर्वकी परिसमाप्ति. पर्व-३ १० से ११८ पर्व-४. १११ से १५८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002550
Book TitleVijayanandji ke Vangmay ka Vihangavalokan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiranyashashreeji
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1999
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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