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________________ पउमचरिउ [क ५,८-९, ६, १ - ११;७, १-२ जं जेम चविउ तं कहिउ तेम पतिण-सरिसो विणं गणइ देव ॥८ ॥घत्ता ॥ ण करइ केर तुहारी रिउँ-खय-कारी णिन्भउ माणे महाइउ । "मेइणि-रवणु समुडेवि रण-पिहूँ मण्डेंवि जुज्झ-सज्जु थिउ दाई' ॥९ तं णिसुणेवि झत्ति पलित्तुं राउ णं जलणु जाल-माला-सहाउ ॥१ देवाविउ लहु सण्णाह-तूर सण्णज्झइ स-रहसु सुहड-सूरु ॥२ आऊरिउ वलु चउरङ्ग ताम अट्ठारह अक्खोहणिउँ जाम ॥ ३ परिचिन्तिय णव णिहि संचलन्ति जे सन्दण-वेसें परिभमन्ति ॥४ 1" महाकालु कालु मणिवउ पण्डु पउमक्खु सङ्घ पिङ्गल पचण्डु ॥ ५ णइसप्पु रयणु णव णिहिउ एय णं थिय वहु-भायहिँ पुण्ण-भेय ॥ ६ णव-जोयणाइँ तुङ्गत्तणेण वारह सप्पासङ्गत्तणेण ॥ ७ अट्टोयर गम्भीरत्तणेण सह जक्ख-सहासें रक्खणेण ॥८ कों वि वत्थ को वि भोयण देइ" को वि रयण' को वि पहरणइँणेइ" ॥९ 15 को वि हयं गय को वि ओसहिउ धरई विण्णाणाहरणहुँ को वि हरई ॥१० ॥ घत्ता ॥ चम्म-चक्क-सेणावइ हय-गय-गहवइ छत्त-दण्ड-णेमित्तिय । कागणि-मणि-स्थाइ थिय खम्ग-पुरोहिय ते विचउद्दह चिन्तियं ॥ ११ 20 गउ भरह पयाणउ देवि जाम हेरिऍहिँ कणिगृहों कहिउ ताम ॥ १ 'सहसा णीसरु सण्णहेवि देव दीसइ पडिवक्खु समुदु जेम' ॥२ 21 PS पइ. 22 P न. 23 A गणइं. 24 A रिरिउ. 25_PS मेयणिरयणु. 26 A. संमंडेवि 27 5 °पडु, A पिडु. 28 A मंडिवि. 29 °सजि, A °सज्झु. 30 दायउ. 6. 1s णिसुणिवि. 2 P पलित्त. 3 P आऊरइ, s आजरिइ, A आओरिउ. 4 A भक्खोहणिउं. 5 PS जं. 6 P भाणव सपंडु, S माणव सपिंडु, A माणवउ पंडु with स superscribed above उ.7 P पिंगल. 8 PS °भायहि. 9 P तुंगतूणेण. 10 वस्थइ. 11 PS भोयणइ. 12 P देवि. 18 PS पहरणइ. 14 PS देइ. 15s उसहिउ. 16 s धरई 17 PS °णाहरणहं. 18 P हरई, A भरइ. 19 णेमित्तिया. 20 Pथवइत्थिय, S थवइस्थिय A थवइ थिय. 21 P °परोहिय, S°षरोहिया. 22 s चिंतिया. 7. 1 s पयंxणे, A पयाणउं. 2 s हिरिएहि, A हेरियहिं. 3 s कपिणहो. 4 PS सपणहि वि. २ महादृतः, मानगिरीत्यर्थः. ३ प्रगुणः. [६] १ हतरोगाः ओषधयः. २ स्थापयति प्रयच्छति वा. ३ गृहपतिः. ४ स्थपति. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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