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________________ INTRODUCTION 399 पभणइ आणन्दु मन्ति सुचवि। 19 4 7. 399 ततो नाना महोत्साहः सामन्तोऽस्याति वल्लभः जगाद । 1740. VP. नामेण महुच्छाहो सामन्तो भणइ। 17 21. 400 वणु गम्पि पइट। 1958. 400 समं सख्या xx प्राविशद् वनम्। 17 65. 401 धाहाविउ । 19 5 8. 401 सा चक्र परिदेवनम् । 17 66 VP. करेइ परिदेवणं बाला ॥ 17 30. 402 विहि मि कलुषु कन्दन्तियहिँ 19 5 10. 402 अत्यन्तदीनमेतस्यां रुदन्त्याम् । 17 79. 403 हरिणेहि वि दोवउ मेल्लियउ । 19 5 10. 403 मृगीभिरपि निर्मुक्ताः सुस्थूला बाष्पविन्दवः। 1779. दर्भानुपात्तान् विजहुर्हरिण्यः। Raghuvams'a 14 37. 404 पलिया-गुह। 19 6 6. 404 पर्यगृहाख्याम् । 17213. VP. पलियङ्कगुहा। 1775. 405 णामेण भटारउ अमियगइ। 19 6 7. 405 अमितगत्याख्यः । - 17 139. VP. अमियगई। 17 47. 406 जिण-पडिम सवत्तिहें मच्छरेण, 406 (a) सपव्यै क्रुद्धया तया चक्रे बाह्यावपरिचित्त पत्त तं एहु दुहु । 197 4-5 काशासौ जिनेन्द्रप्रतियातना ॥ 17 168. (b) तेनातिदुःख समागमत् । 17 198. VP.(a) °सवत्तीए xx रुवाए सिद्धपडिमा ठविया घरबाहिरुइसे। 1762. (b) तं एस-महादुक्खं अणुहूयं । 17 70.. 407 एवहिँ पावेसहि सयल-सुहु। 19 7 5. 407 अल्पैरेव च तेऽहोभिः । प्रियसङ्गो भविष्यति। 17 210. 408 कीलाल-सित्त-केसर-पसरु। 19 7 8. 408 °कीलालशोणकेसरसश्चय। 17 224. ___VP. केसरारुणिओ। 1777. 409 °गुञ्ज-सरिस-णयणु। 1979 409 गुञ्जाक्षः। 7235. 410 उप्पऍवि भायासें वसन्तमाल । 19 7 11 410 उत्पत्य त्वरिता व्योम्नि सख्यस्याः । 17 240. 411, 19 8 1-6 411. 17255-257. 412 रक्खहाँ सहिय। 19 8 6. 412 कुरुत त्राणमस्याः । 17 257. VP. रक्खसु। 1781. 413 गन्धवाहिवह xxx पर-उवयार-मइ । 413 गन्धर्वः xxx कारुण्याश्लेषमीयिवान् । 1987 17 242. 414 मणिचूडु रयणचूडहें दइउ। 414 मणिचूलाख्यं रनचूला निजागना 17 243. 415 गीउ गीतxxx मणोहरु। 1991 415 गीतं केनाप्येतन्मनोहरम्। 17 284. VP गाइउं पवत्तोxxx मणहरं । 17 85. 416 को वि सुहि वसइ वणे। 19 9 2 416 (a) कोऽप्यनुकम्पकः। 17 285. (b) महारण्येऽपि x x सुहृदो जनः 17 287. 417 कहाँ धीयउ कहाँ कुलउत्तियउ, 417 इयं का दुहिता कस्य वा शुभा। कसु केरउ एवड दुहु, पत्नी वा कस्य कस्माद् वा वणे अच्छहों जेण। 19910. महारण्यमिदं श्रिता। 17 328. 418 माहवमासहाँ बहुलट्टमिएँ। 1995. 418 चैत्रस्य बहुलाष्टमी। - 17 364. VP. बहुलट्ठमी य चेत्तस्स। 7 107 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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