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________________ गाथा पत्र बृहत्कल्पसूत्र चतुर्थ विभागनो विषयानुक्रम ! विषय ३९१८-४०९९ भिन्नाभिन्नवस्त्रप्रकृत सूत्र ८-९ १०७५-१११८ ३९१८-४०७७ ८निर्ग्रन्थ-निर्घन्धीविषयक अभिन्नवस्त्रसूत्र १०७५-१११३ निम्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने अभिन्न वस्त्रनो संग्रह अने उपभोग करवो कल्पे नहि निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीविषयक अभिन्नवस्त्रसूत्रनी व्याख्या १०७५ ३९१८-१९ कृत्स्न अने अकृत्स्नपदनी भिन्न-अभिन्न पद' साथे चतुर्भगी, अभिन्नपदना द्रव्य क्षेत्र काल अने भाव ए चार प्रकारो, तेना ग्रहणादिने लगता विधि प्रायश्चित्त आदिनो अतिदेश अने भिन्न वस्त्र न मळे तो अभिन्न वस्त्रने फाडीने उपयोगमा लइ शकाय १०७५ ३९२० भिन्नाभिन्नवस्त्रसूत्रोना निरूपणनां कारणो। १०७५ ३९२१-५१ वस्त्रने फाडीने लेवाथी हिंसा लागे माटे वस्त्रने फाडीने लेवू न जोइए ए प्रकारनी शिष्यनी शंकाना जवाबमां हिंसा-अहिंसाना खरूप वणेनविषयक गंभीर वादस्थल १०७६-८३ ३९२१-२६ वरने फाडीने लेवाथी हिंसा लागे ए विषयक शिष्यनो पूर्वपक्ष १०७६-७७ ३९२७-३४ वस्त्रने फाडवाथी हिंसा लागवा सामे आचार्यनो प्रत्युत्तर, द्रव्य-भावहिंसानी चतुभंगी अने तेनुं स्वरूप १०७७-७९ ३९३५-३६ हिंसा करवामां राग द्वेष अने मोहनी विविधताने लीधे कर्मबंधमां ओछावत्तापणुं अने तेना वर्णनमाटेनी द्वारगाथा १०७९ ३९३७ . १ तीव्रमन्दद्वार १०८० हिंसादि करवामां रागादिनी तीव्रताथी तीव्र कर्मबंध अने अल्पताथी अल्प कर्मबंध ३९३८-३९ २ ज्ञाताज्ञातद्वार १०८० ११०७५ मा पानाने मथाळे सूत्रम्ना पहेलां भिन्नाभिन्नवस्त्रप्रकृतम् एटलं उमेर ॥ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002513
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 04
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages444
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size24 MB
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