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________________ 12 / साध्वी श्री सम्यग्दर्शना श्री व्याख्या मुनि चन्द्रसूरि ने श्री रामचन्द्र की सहायता से वि. 1172 में लिखी । इन दो प्राचीन ग्रन्थों के पश्चात् इस विधा का तीसरा महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ मल्लधारी हेमचन्द्रसूरि के द्वारा लिखित उपदेशमाला अपर नाम पुष्पमाला है। उपदेशमाला अपर नाम पुष्पमाला का परिचय ग्रन्थ के प्रारम्भ में उन्होंने इसे उपदेशमाला ही कहा है, किन्तु बाद में प्राचीन उपदेशमाला से इसकी भिन्निता सिद्ध करने के लिये इसे पुष्पमाला नाम अभिहित किया गया। संयुक्त रूप मे हम इसे उपदेश - - पुष्पमाला भी कह सकते हैं। इसके अतिरिक्त जिनदासगणि कृत उपदेशमाला नाम का एक अन्य ग्रन्थ भी मिलता है । यह ग्रन्थ भी मूलतः प्राकृत में है और इसकी गाथा संख्या 542 कही गयी है। जिनरत्नकोश में उपदेशमाला नाम के ही 542 गाथाओं के एक अन्य ग्रन्थ का भी निर्देश उपलब्ध होता है। इसे भी जिनदासगणि कृत ही बताया गया है। ये दोनों ग्रन्थ एक ही है या भिन्न-भिन्न है, इसकी वास्तविकता क्या है? यह तो दोनों ग्रन्थों के तुलनात्मक अध्ययन से ही निश्चित हो सकता है। किन्तु जिनरत्नकोश मे इन दोनों ग्रन्थों की जो प्रारम्भिक गाथाएँ दी गई है वे भिन्न-भिन्न होने से ये दोनों भिन्न-भिन्न ग्रन्थ है ऐसा मानना होगा। जहाँ तक प्रस्तुत मल्लधारी हेमचन्द्रकृत उपदेशमाला अपर नाम पुष्पमाला का प्रश्न है यह ग्रन्थ 505 प्राकृत गाथाओं में निबद्ध है । परन्तु वर्तमान में इसकी 501 गाथायें ही उपलब्ध हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002507
Book TitleUpdesh Pushpamala
Original Sutra AuthorHemchandracharya
Author
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages188
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, P000, & P050
File Size7 MB
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