SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 10
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 8 / साध्वी श्री सम्यग्दर्शना श्री साधुवाद अत्यन्त हर्ष की अनुभूति हो रही है कि अखिल भारतीय खरतरगच्छ महासंघ को उपदेश-पुष्पमाला ग्रन्थ प्रकाशित करने का लाभ प्राप्त हुआ। हमें गौरव है कि खरतरगच्छ के आचार्यों ने हमारे लिये साहित्य का अक्षय कोष तैयार करके छोड़ा है, लेकिन हमें उस साहित्य निधि का पता होना चाहिये। हमारे पूर्वाचार्य हमारे लिये अथाह ज्ञान रूपी नवनीत रखकर गये है, पर जरूरत है हमें उस ज्ञान रूपी नवनीत से अपने मन को कोमल एवं करूणा से परिपूर्ण बनाने का। हमारा लक्ष्य है कि खरतरगच्छ के आचार्यों का जो विपुल साहित्य है, उस को उद्घाटित किया जाये, जिससे आने वाली पीढ़ी उसमें निहित ज्ञान को प्राप्त कर सके और गौरव का अनुभव कर सके। साध्वी श्री के इस सफल प्रयास का मैं हार्दिक अनुमोदन करता हूँ कि उन्होंने अपने श्रम द्वारा हेमचन्द्र द्वारा रचित और खरतरगच्छीय साधु सोमगणि द्वारा व्याख्यायित इस ग्रन्थ का अनुवाद कर, हम सबको ज्ञान-अर्जन हेतु सुविधा उपलब्ध करवायी, एतदर्थ उन्हें बहुत-बहुत साधुवाद । अ. भा. श्री जैन श्वे. खरतरगच्छ महासंघमहामंत्री रुमिल बोहरा 21.06.2007 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002507
Book TitleUpdesh Pushpamala
Original Sutra AuthorHemchandracharya
Author
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages188
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, P000, & P050
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy