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________________ तु तीर्थमां वीस कोटी मुनिनी साथ पांडवं भव तर्या, वळी शांब ने प्रद्युम्न क्रोडो साधु साथे शिव वर्या; वसुदेवने श्री कृष्णनो परिवार पण मुक्ति लहे, निरख्यं... २१ महायुद्ध कर्याक्रोडो मनुज संहारना, ते कृष्ण वासुदेव पण सेवे चरणयुग आपना; सम्यक्त्व पामी बांधता जिनपद प्रदायक कर्मने, निरख्यं...२२ छोना कर्यं मुज करग्रहण तें नाथ आवी मांडवे, तारा ज़ करथी व्रत ग्रहण हुं करीश आवीने हवे; ते बोल पाळीने बताव्यो नेहघेली राजुलने, निरख्यं...२३ नव नव जनमनी प्रीतडी श्री नेमराजुलनी हती, अहीं देहनो संबंध तोडी तेमणे जे शाश्वती; प्रीतितणो संबंध जोड्यो मुक्ति केरा मांडवे, ૧૯ निरख्यं... २४ ते धन्य शौरीपुर नगर ज्यां च्यवन जन्म थया हता, ते धन्य सहसावन प्रभु ज्यां दिक्खकेवल पामता; ते धन्य रैवतगिरी शिखर ज्यां शिव रमा संगम लहे, निरख्यं... २५ गिरनार गिरि पर पांचसो छत्रीस मुनिनी साथमां, निर्वाण पाम्या मासनुं अणसण करी परमातमां; आयुष्य एक हजार वर्षं पूर्ण करी खड्गासने, निरख्यं...२६
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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