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________________ d maamanan खुल्ला मुक्या छ में तो... खुल्ला मुक्या छे में तो दिलडाना द्वार, प्रभुजी आवोने अकवार, मारा जीवननी सुनी पगथार, . पगलां पाडोने अकवार... वरसोथी मीट मांडी वाटडी निहाळु, शमणांनी सोडमां हुं तुजने पुकाएं, तुजने विसारी ना शकुंपलवार... प्रभुजी... तारा विना उरना आसनिया खाली, छलकावी धोने नाथ करुणानी प्याली, तुजने स्मर्या करुं वारंवार.... प्रभुजी... अंतरनी आरसीमां रहेजे छबीला, मारा रे अंतरमां तारा ज पगलां, तारो महिमा छे अपरंपार... प्रभुजी... . भक्तो तमारा अवा रे भोळा,.. शाने लीधा छे प्रभु अबोला, . अमने उतारोने भवपार... प्रभुजी... काळजाने कोडीये दीवडो प्रगटावं, प्रेमघृत भरी भाव ज्योति जलावं, . झळकावू जीवन झाकळमाळ... प्रभुजी... साथिया पुरं छु अंतरने आंगणे, बेसुं छु मीट तारी मांडीने बारणे, जीवनभर झंखुं छु तारो प्यार... प्रभुजी... तनना आ तंबूराने आशाना तारे, . छेडं वीतराग तारा स्नेहनी सितारे, प्रीतभयाँ गुंजे रणकार... प्रभुजी... - - ૨૪
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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