SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ माता शिवादेगर्भमां वहता हता जब नाथने, स्वप्ने निहाळे रिष्ट निर्मित चक्र केरी धारने; तेथी अरिष्ट नेमि थाये नाम प्रभुनुं शुभ पळे, निरख्यं... ३ दश धनुषनी काया उपर वायो वसंती वायरो, जाम्यो मजानो जोवनाइना फुलोनो डायरी; वनराई जेवो श्याम प्रभुनो देह जग कामण करे, मदभर जुवानीना रसे छलकेल दोस्तो नाथने, रमवा जता खेंची नगरमां सीममां के उपवने; थातो वसंतोत्सव तदा सहु नगर जनना नेत्रने, निरख्यं... ४ निरख्यं...५ श्री कृष्णनी आयुधशाळामां पहोंच्या एकदा, त्यां मित्र हठथी दाखव्या शस्त्रोतणा दावो बधा; श्री कृष्ण केरो शंख पूर्यो घोरनादे नेमिए, निरख्यं... ६ श्री कृष्णने बलराम यादव सर्व दोड्या ते स्थळे, चमक्या निहाळी नेमिने त्यां खेलता शस्त्रो वडे; देखी अचिंतित बळ प्रभुनुं चकित चित्ते सर्व ते, निरख्यं...७ तव नेमिनुं बळ मापवाने कृष्ण कर लांबो करे, पळमां नमावी हाथ हरिनो नाथ निज करने धरे; श्री कृष्ण लटके वांदरानी जेम तोये ना वळे, निरख्यं...८
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy