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________________ रसना मोरी रत बनजो (२) आश करे तो भजनन की... मोहे लागी... कान में गुंज रही है अहोनिश (२) वाणी प्रभु मुख झरनन की, लगन लागी प्रभु तोरे चरन की (२) ओर उनके शरनन की... मोहे लागी... समयने साचवी लेशो । . (राग युगोथी हुं पुकारं छु...) समयने साचवी लेशो, समयनुं काम छे सरवानु, समयने दोष ना देशो, समयनुं काम छे सरवानु... बहु कष्टो सह्या त्यारे, मल्युं आ मानवीनुं तन, . बहु पुन्यो फल्या त्यारे, मल्युं आ भाव भी मन,. आ मनना फूल खीलवशो, सुगंधी सृष्टि करवाने... समयने... दीपक ज्योति करे जगमां, ने वरसे वादळ नभमां,. आ चंदन जातने घसतां, शीतळता अर्पता जगमां, कईक आqजीवन माही, कयु के नहीं निरखवानु... समयने... मंदिर पधारो स्वामी मंदिर पधारो स्वामी सलुणा (२) । तमारा विना नाथ क्यांये गमे ना... मंदिर... अंतरनी वातो आंसु कहे छे, तुंही तुंही तुंही आ मनई रटे छे, ... हवे नाथ झाझु तलसावशो ना... मंदिर... ૨૦.
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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