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________________ राजीमति दीक्षा ग्रही, शिवशर्मने ज्यां पामतां, ए सहसावनने वंदता, मुज जन्म आज सफल थयो... ६. अवसर्पिणीमां सौ प्रथम, अरिहंतपदे जे शोभतां, तीर्थतणी रचना करी युगलाधर्म निवारतां, अज्ञानीना तिमिर टाळी, ज्ञानज्योत जलावतां, ए आदिनाथने वंदता, मुज जन्म आज सफल थयो ... कमठतणा उपसर्गोने, समभावथी जे झीलतां, जे बिथी अमिरसतणा, झरणाओ सहेजे झरतां, ७. जेना प्रगटप्रभावथी, भविना दुःखडा भांगतां, ए अमिझरापार्श्व वंदता, मुज जन्म आज सफल थयो... ८. नेमसमीपे व्रतग्रही, गुफामां ध्यानने ध्यावतां, अशुभकर्मना उदयथी जे, व्रतमां डगमग थावतां, प्रतिबोध पामी राजुल वयणे, मोक्षमारग साधतां, ए रहनेमिने वंदता, मुज जन्म आज सफल थयो... बालब्रह्मचारी नेमनाथ, परमपद ज्यां पामतां, भविजनो मळीने भक्तिकाजे, पगलां ने त्यां ठावतां, परतीर्थीओ जेने वळीं, दत्तात्रय नामे पूजतां, ए पांचमीटूंकने वंदता, मुज जन्म आज सफल थयो... गिरनार वंदनावली (राग : अरिहंत वंदनावली - मंदिर छो मुक्ति...) १. बे तीर्थ जगमां छे वडा ते, शत्रुंजयने गिरनार, एक गढ समोसर्या आदिजिनने, बीजे श्री नेमि जुहार, ११
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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