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________________ मैं उपाश्रय गया, गुरुवाणी सुनी, गुरुवाणी को सुनकर ये खयाल आ गया; जैन कुलको पाया जैनी बन ना शका, फिर जैनी कहलाने से क्या फायदा... ३ मैंने दान किया, मैंने तप जप किया, दान करते हुओ ये खयाल आ गया; कभी भूखे को भोजन कराया नहीं, दान लाखों का करदुं तो क्या फायदा... ४ जीवन लडाई जीती जनारा... (राग : तुम्हीं हो माता ) जीवन लडाई जीती जनारा, नेमि ! तमोने नमन अमारा. पराक्रमोनी तमे प्रतिमा, चढाण कीधां रैवतगिरिमां गगनभूमिना अमरमिनारा, तमे दिवाकर, तमे सुधाकर, तमे ज धरती, तमे ज सागर, अणुअणुमा बिराजनारा, वो दुःखी तो तमे दुःखी हो, तमे सुखी जो जीवो सुखी हो, तमे सहुना, सहु तमारा, ૧૯૯ प्रभु ! तमोने... १ प्रभु ! तमोने... २ प्रभु ! तमोने... ३
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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