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________________ शाणराज भुंभव तिहा आया, इन्द्रनील बनाया (२) प्रेमा संग्रामसोनी उद्धरिया, मानसिंह अपर बनाया (२) नरशी केशव वीसमी सदीमां, नीतिसूरि महाराया... जे गिरनार... ॥७॥ नेमप्रभुओ दीक्षा-केवल, सहसावन में पाया (२) . पावन वह भूमिका महिमा, जबसे ध्यानमें आया (२) हिमांशुसूरिरायने उसका, तीर्थोद्धार कराया.... __ , जे गिरनार... ॥८॥ आंबडमंत्री मानसिंह मेघजी, पाजगिरि समराया (२) पेथड-झांजण ओ गिरि आया, तीरथ ध्वज लहराया (२) - नामी अनामी केइ पुण्यवान, गिरिवर भक्ति पाया..." जे गिरनार... ॥९॥ गिरिभक्तिनो महिमा मोटो, कहेता नावे पारा (२) जिनवयणने सूणतां सूणतां, कर दे भवनिस्तारा (२) आतम अनुभव तत्त्व प्रकाशी, पंचमगति दातारा... . जे गिरनार... ॥१०॥ 'इन्द्र' 'निरंजन' 'विश्रामगिरिवर', 'पंचमगिरि गुणगाया (२) 'भवच्छेदक ने 'आश्रयगिरिवर', 'स्वर्ग', 'समत्व' सुखमाया (२) 'अमलगिरि' के जाप ने हेमको, आतमराम बनाया... . जे गिरनार... ॥ ११ ॥ -
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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