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________________ ७. आवती चोवीसीमां थनारा १. श्री पद्मनाभ, २. श्री सुरदेव, ३. श्री सुपार्श्व, ४. श्री स्वंयप्रभ, ५. श्री सर्वानुभूति, ६. श्री देवश्रुत, ७. श्री उदय, ८. श्री पेढाल, ९. श्री पोट्टील, १०. श्री सत्कीर्ति, ११. श्री सुव्रत, १२. श्री अमम, १३. श्री निष्कषाय, १४. श्री निष्पुलाक, १५. श्री निर्मम, १६. श्री चित्रगुप्त, १७. श्री समाधि, १८. श्री संवर, १९. श्री यशोघर, २०. श्री विजय, २१. श्री मल्लिजिन, २२. श्री देव आ बीवीस तीर्थंकर परमात्माना मात्र मोक्षकल्याणक तथा २३. श्री अनंतवीर्य, २४. श्री भद्रकृत आ बे तीर्थंकर परमात्माना दीक्षा-केवळज्ञान अने मोक्षकल्याणक भविष्यमा गिरनार महातीर्थ उपर थशे. गिरनार महातीर्थनी भक्ति द्वारा श्री नेमिनाथ भगवानना रहनेमि सहित आठ भाईओ, शांब, प्रद्युम्न आदि अनेक कुमारो, कृष्ण . महाराजानी आठ पट्टराणीओ, साध्वी राजीमतिश्री आदि अनेक भव्यात्माओ मोक्षपदने पाम्या छे अने कृष्ण महाराजाए तो आ तीर्थभक्तिना प्रभावे तीर्थंकरनामकर्म बांधेल छे तेथी तेमनो आत्मा आवती चोवीसीमां बारमा तीर्थंकर श्री अममस्वामी बनी मोक्षपदने पामशे. गिरनार महातीर्थ तथा श्री नेमिनाथ भगवान उपर अविहडरागना प्रभावे धामणउली गामना धार नामना वेपारीना पांचपुत्रो १, कालमेघ २, मेघनाद ३, भेरव ४, एकपद अने ५, त्रैलोक्यपद आ पांचेय पुत्रो मरीने तीर्थना क्षेत्राधिपति देव थया छे. १०. स्वर्गलोक, पाताललोक अने मृत्युलोकना चैत्योमां सुर, असुर अने राजाओ गिरनारना आकारने हमेशा पूजे छे.
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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