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________________ दुःख टळीयो मीलीयो आपे मुज जगनाथ रे यादवजी, समता रस भरीयो गुण दरियो शिव साथ रे यादवजी; तुज मुखडुं दीठे दुःख नाठे सुख होइ रे यादवजी, वाचकजस बोले नहि तुज तोले कोइ रे यादवजी. ५ (८) हारे मारे नेमि राग : हारे मारे धर्म जिनेश्वर हांरे मारे नेमि जिनेसर, अलवेसर आधार जो, साहिबरे सोभागी गुणमणी आगरूं रे लो; हांरे मारे परम पुरुष परमातम देव पवित्रजो, आज महोदय दरिसण पाम्यो ताहरु रे लो. १ हांरे मारे तोरण आवी, पशु छोडावी नाथजो, रथ फेरीने वळीया, नायक नेमजीरे लो; हांरे मारे दैव अटारें, ओ शुं कीधु आज जो, रढीयाळी वर राजुल छोडी नेमजी रे लो २ हांरे मारे सयोगी भाव, वियोगी जाणी स्वामी जो, ए संसारे भमता को केहनुं नहि रे लो; हांरे मारे लोकांतिकने, वयणे प्रभुजी तामजो, वरसीदान दीये तिण अवसर जिन सहीरे लो ३ हांरे मारे सहसावनमां सहस पुरूषनी साथजो, भवदुःख छेदन कारण चारित्र आदरे लो, हांरे मारे वस्तु तत्त्वने रमण करंता सार जो; चोपनमें दिन केवळज्ञान दशा वरे रे लो. ४ हांरे मारे लोकालोक प्रकाशक त्रिभुवन भाणजो, त्रिगडे बेसी धरम कहे श्री जिनवरू रे लो; हांरे मारे शिवानंदन वरसे सुखकर वाणीजो, आस्वादे भवि भाव धरीने सुंदरू रे लो. ५ ૧૧૮
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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