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________________ (अवसर्पिणीना छ आरामां आ तीर्थना अनुक्रमे ६ नामः (१) कैलास (२) उज्जयंत (३) रैवत (४) स्वर्णगिरि (५) गिरनार (६) नंदभद्र) ★ एक खमासमण आपीने श्री रैवतगिरि महातीर्थ आराधनार्थं काउस्सग्ग करूं? इच्छं. रैवतगिरि महातीर्थ आराधनार्थं करेमि काउस्सग्गं वंदणवत्तियाए, पूअणवत्तिआए, सक्कारवत्तिआए, सम्माणवत्तिआए, बोहिलाभवत्तिआए, |निरूवसग्गवत्तिआए, सद्धाए, मेहाए, धीइए धारणाए, अणुप्पेहाए, वड्डमाणीए, ठामि काउस्सग्गं. अन्नत्थ ऊससिएणं, नीससिएणं, खासिएणं, छीएणं, जंभाइएणं, उड्डएणं, वायनिसग्गेणं, भमलीए पित्तमुच्छाए. १. सुहुमेहिं अंगसंचालेहि, सुहुमेहिं खेलसंचालेहि सुहुमेहिं दिठ्ठिसंचालेहिं. २. एवमाइएहिं आगारेहिं अभग्गो अविराहिओहुज्ज मे काउस्सग्गो. ३ जाव अरिहंताणं भगवंताणं नमुक्कारेणं न पारेमि, ताव कायं ठाणेणं, मोणेणं, झाणेणं अप्पाणं वोरिसामि ४ (९ लोगस्सनो काउस्सग्ग न आवडे तो ३६ नवकारनो काउस्सग्ग करी प्रगट लोगस्स बोलवो.) चैत्यवंदन नेमिनाथ बावीशमा, अपराजीतथी आय; सौरीपुरमा अवतर्या, कन्या राशि सुहाय... १ . योनि वाघ विवेकीने, राक्षस गण अद्भुत; रिख चित्रा चोपन दिन, मौनवता मनपूर... २ वेतस हेठे के वलीए, पंचसया छत्रीश; वाचंयमशु शिव वर्या, वीर नमे नशिदीश... ३ (२) नेमिनाथ बावीशमा, शिवादेवी माय; समुद्रविजय पृथ्वीपति, जे प्रभुना ताय... १ दस धनुषनी देहडी, आयु वरस हजार; शंखलंछनधर स्वामीजी, तजी राजुल नार... २ शौरीपुरीनयरी भलीए, ब्रह्मचारी भगवान; जिन उत्तम पद पद्मने, नमतां अवचिल ठाम... ३ १००
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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