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________________ सकल भव्य तमोभर भास्करा, जन चकोर मुदेक निशाकराः; तनुमतां नमतां ददतां श्रियं, जिनवरा नवराग विदारिणः ...(२) नय वितानमणी रमणीयतां, विदधतं गमभंग समाकुलम्; भगवतां सकलांग भृतांदया, रसमयं समयं जलधि श्रये ... (३) जिन पदाब्ज पराग मधुव्रता, कवि कलाम्र विलास वनप्रिया; शमयतामशिवं शिवकारिणी, श्रुत सुरित सुरीजन मुख्यता ... (४) (२६) नेमि जिनेसर समरीए, शिवादेवी माय, समुद्रविजय कुल उपन्या, शंखलंछन पाय; दश धनुष प्रभु देहमान, श्यामवरणी तस काय, . अष्टकर्म हेले हणी, मुक्तिपुरीमा जाय ... (१) नवणविलेपन वासनी, धूप दीप निवेद, फुल अक्षते पूजीए, जेहथी जाय भव खेद; जिन चोवीसे पूजतां, दुर्गति नवि थाय, महानिशिथे भाख्यु, बारमे देवलोके जाय ... (२) नेमिनाथ केवल लघु, उज्जयंतगिरि आय, भविकजीवने कारणे, देशना दीये जिनराय; सुणी चारीत्र केइ लहे, केइ श्रावक धर्म, एम अनेक जीव भवतर्या, पाम्या शिवशर्म ...(३) ८८
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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