SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 85555555555555555555555555555555555555 रत्नप्रभा के असंख्यात विस्तृत नरकावासों से ज्योतिष्क देवों से सम्बन्धित प्रश्न 489 सम्बन्धित प्रश्नोत्तर 466 सौधर्मादि कल्पों, ग्रैवेयक एवं अनुत्तर देवों से शेष छह नरक पृथ्वियों के नरकावासों के सम्बन्धित कथन 491 सम्बन्ध में निरूपण 468 चतुर्विध देवों के संख्यात-असंख्यात विस्तृत नैरयिकों में सम्यग्-मिथ्या-मिश्रदृष्टि वाले आवासों में सम्यग्दृष्टि आदि के उत्पत्ति, नैरयिक जीवों के उत्पाद, उद्वर्त्तना एवं उद्वर्त्तन एवं सत्ता की प्ररूपणा विरहित-अविरहित की प्ररूपणा 474 एक लेश्या वाले देव का दूसरी लेश्या वाले लेश्याओं का परस्पर परिवर्तन और उसके देवों में उत्पत्ति-प्ररूपणा अनुसार नरक में उत्पत्ति का निरूपण 477 तेरहवां शतक : तृतीय उद्देशक : तेरहवां शतक : द्वितीय उद्देशक : (नैरयिकों के) अनन्तराहारादि 503-504 देव (भेद-उत्तर भेद, आवास.....) 482-502 चौवीस दण्डकों में अनन्तराहरादि की प्ररूपणा 503 चार प्रकार के देवों की प्ररूपणा 482 परिशिष्ट 505-547 भवनपति देवों के भेद, असुरकुमार देवों के आवास और उनके विस्तार की प्ररूपणा 483 शब्दकोष 505 भवनपति आवासों में उत्पन्न असुरकुमारादि आगमों का अनध्यायकाल से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर 484 प्रकाशित आगम सूची वाणव्यन्तर देवों से सम्बन्धित प्ररूपणा 488 535 OIL.IN OERROR CATED (19) 5555555555555555555555555555555555555
SR No.002493
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages618
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy