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________________ नन्दीसूत्रम् अवग्रहादि का काल परिमाण मूलम्-१. उग्गहे इक्कसमइए, २. अंतोमुहुत्तिया ईहा, ३. अंतोमुत्तिए अवाए । ४. धारणा संखेज वा कालं, असंखेज्जं वा कालं ॥सूत्र ३५॥ छाया-अवग्रह एकसामयिकः, २. आन्तर्मुहूर्तिकीहा, ३. आन्तर्मुहूर्तिकोऽवायः, ४. धारणा संख्येयं वा कालमसंख्येयं वा कालम् ॥सू० ३५।। पदार्थ-उग्गहे-अवग्रह इक्कसमइए–एक समय का होता है ईहा-ईहा अंतोमुहुत्तिया-अन्तमहत्त की होती है, श्रवाए-अवाए अंतोमुहुत्तिए- अन्तमुहर्त का होता है, धारणा-धारणा संखेज्जं वा कालं-संख्येय काल और असंखेज वा कालं-यौगलिक आदि की अपेक्षा से असंख्यात काल की है। भावार्थ-१. अवग्रह ज्ञान का काल प्रमाण एक समय मात्र का है, २. अन्र्मुतहूर्त प्रमाण ईहा का समय है, ३. अवाय भी अन्तमुहर्त परिमाण में होता है, ४. धारणा का काल परिमाण संख्यात काल अथवा.युगलियों की अपेक्षा से असंख्यात काल पर्यन्त भी है ।सूत्र ३।। टीका-इस सूत्र में उक्त चारों का काल प्रमाण का निरूपण किया है। अर्थावग्रह एक समय का होता है। ईहा और अवाय ये दोनों प्रत्येक २ अन्तमुहर्त काल प्रमाण तक रहते हैं तथा धारणा अन्तमुहर्त से लेकर संख्यात काल और असंख्यात काल पर्यन्त रह सकती है। इसका कारण यह है कि यदि किसी संज्ञी प्राणी की आयु संख्यात काल की हो, तो धारणा संख्यात काल पर्यन्त और यदि असंख्यात काल की हो, तो असंख्यात काल पर्यन्त होती है। यदि किसी को जातिस्मरण ज्ञान उत्पन्न होता है, तो वह भी धारणा की प्रबलता से ही हो सकता है। प्रत्यभिज्ञान भी इसी की.देन है। अवाय हो जाने के पश्चात् फिर भी उपयोग यदि उसी में लगा हुआ हो, तो उसे अवाय नहीं, अपितु अविच्युति धारणा कहते हैं । अविच्युति धारणा ही वासना को दृढ करती है । वासना जितनी दृढ होगी, निमित्त मिलने पर वह स्मृति को उबुद्ध करने में कारण बनती है। भाष्यकार ने भी उक्त चारों प्रकार का काल मान निम्न लिखित बताया है "अत्थोग्गहो जहन्नं समो, सेसोग्गहादओ वीसुं। अन्तोमुहुत्तमेगन्तु, वासणा धारणं मोत्तुं ॥" इस का भाव ऊपर लिखा जा चुका है ॥सूत्र ३५॥ प्रतिबोधक के दृष्टान्त से व्यन्जनावग्रह मूलम्-एवं अट्ठावीसइविहस्स आभिणिबोहियनाणस्स वंजणुग्गहस्स परूवणं करिस्सामि, पडिबोहगदिढतेण मल्लगदिलुतेण य ।
SR No.002487
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAcharya Shree Atmaram Jain Bodh Prakashan
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size16 MB
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